Coronavirus Effect : संक्रमण ने फंसाया पत्राचार संस्थान का मसला, फिर टली बैठक Prayagraj News
Coronavirus Effect संस्थान के कर्मचारियों की ओर से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने मई 2018 में रोक संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया था। इविवि ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
प्रयागराज, जेएनएन। कभी इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय का अभिन्न अंग रहे पत्राचार संस्थान का मसले को सुलझाने के लिए कमेटी तो गठित कर दी गई। अब कोरोना के दूसरे लहर ने इस पर ग्रहण लगा दिया है। ऐसे में कमेटी की बैठक भी टाल दी गई है।
पूर्व कुलपति के फैसले के विरोध में हुई थी याचिका
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर रतन लाल हांगलू के निर्देश पर रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ल ने छह सितंबर 2016 को नोटिफिकेशन जारी कर शैक्षिक सत्र 2016-17 से इस संस्थान की सभी शैक्षिक गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। इसके बाद से संस्थान में कोई प्रवेश नहीं लिया गया। संस्थान के कर्मचारियों की ओर से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने मई 2018 में रोक संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया था। इविवि ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
कर्मचारियों ने जांच कमेटी पर उठाए थे सवाल
26 जुलाई 2019 को हुई कार्य परिषद की बैठक में परिषद के सदस्यों के विरोध के बाद भी संस्थान को बंद करने का निर्णय लिया गया था। संस्थानकर्मियों का प्रकरण निस्तारित करने के लिए सेवानिवृत न्यायमूर्ति अरूण टंडन की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। इसकी रिपोर्ट के आधार पर इविवि की ओर से एक बार फिर पुनॢवचार याचिका दायर की गई है। जबकि संस्थान कर्मियों ने जांच कमेटी पर कई सवाल उठाए थे। आरोप है कि कमेटी का गठन देनदारी से बचने के लिए मामले को और अधिक उलझाने के लिए किया गया था।
कमेटी का गठन पर कोरोना ने लटकाया
संस्थान के कर्मचारी लंबे समय से वेतन नहीं मिलने से भुखमरी के कगार पर हैं। इस मसले पर मंत्रालय के अलावा भाजपा सांसद प्रो. रीता जोशी ने भी इविवि प्रशासन से कोई निर्णय लेने को कहा। मामला लोकसभा में भी उछला। फिर कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में 26 फरवरी 2021 को कार्य परिषद की बैठक में कमेटी का गठन कर दिया गया। कमेटी का चेयरमैन कला संकाय के अध्यक्ष प्रो. हेरंब चतुर्वेदी को बनाया गया है। कमेटी में प्रो. आशीष सक्सेना, लीगल सेल की इंचार्ज डॉ. सोनल शंकर और दो अन्य शिक्षकों को भी शामिल किया गया है। कमेटी की बैठक दो बार बुलाई गई पर टाल दी गई। इसके बाद कोरोना ने कमेटी की बैठक पर ग्रहण लगा दिया। ऐसे में महामारी के दौर में कर्मचारी भुखमरी के कगार पर हैं।