Coronavirus से संक्रमित हैं तो रखें धैर्य, घबराहट को न होने दें हावी और डॉक्टरों के टिप्स को अपनाएं
प्रयागराज के लेवल थ्री कोविड हॉस्पिटल में अपनी जान जोखिम में डालकर संक्रमितों की जान की रक्षा कर रहे डॉक्टर बताते हैं कि मरीज अपनी मनमानी कर रहे हैं। ब्रीथ सैचुरेशन मेंटेन रखने के लिये लगे बाइपेप मशीन को डॉक्टर के जाते ही हटा देते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस की दूसरी लहर जैसा विकराल रूप लेकर आई है उससे लोगों में दहशत है। दहशत में कोरोना संक्रमितों की तबीयत और बिगड़ रही है। कोविड अस्पताल में अब तक कई मरीजों की जान सिर्फ इसलिये चली गई क्योंकि ज्यादा घबराहट में उनका ब्रीथ सैचुरेशन अचानक डाउन हो गया और फिर वेंटिलेटर भी उनके जीवन की रक्षा नहीं कर सका।
इसलिए फोन पर अब स्वजन से संपर्क कम
कोविड अस्पतालों में कुछ दिनों पहले तक डॉक्टर या अन्य स्टाफ, भर्ती कोरोना संक्रमितों की फोन से बात उनके स्वजन से करा देते थे। हालांकि इस बातचीत में मरीजों तक यह भी सूचना पहुंचने लगी कि शहर के हालात किस कदर खराब हो चुके हैं। रोज कोरोना से लोगों की जान जा रही है। इन सूचनाओं से कोरोना संक्रमितों की तबीयत और बिगड़ रही है फिर डॉक्टरों के लिए उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा है।
मरीजों की मनमानी, बड़ी परेशानी
प्रयागराज के लेवल थ्री कोविड हॉस्पिटल में अपनी जान जोखिम में डालकर संक्रमितों की जान की रक्षा कर रहे डॉक्टर बताते हैं कि मरीज अपनी मनमानी कर रहे हैं। ब्रीथ सैचुरेशन मेंटेन रखने के लिये लगे बाइपेप मशीन को डॉक्टर के जाते ही हटा देते हैं। पास में फोन है तो घरवालों या दोस्तों से खूब बात करते हैं। बाहर की बातें पता चलने पर थोड़ी ही देर में उनमें घबराहट हो जाती है और फिर संक्रमितों की जान खतरे में पड़ जाती है।
दिमाग पर न होने दें कोरोना को हावी
स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर शबी अहमद का कहना है कि कोरोना का अटैक सांस पर होता है इसलिये लोगों को पूरे धैर्य से काम लेना होगा। प्रत्येक दिन तीन से चार मरीजों की मौत दुखद है लेकिन 50 से अधिक लोगों को स्वस्थ कर डॉक्टर उनके जीवन भी बचा रहे हैं। जो लोग होम आइसोलेशन में हैं उन्हें भी चाहिये कि कोरोना को लेकर किसी प्रकार का भ्रम न पालें। संक्रमित डॉक्टरों पर भरोसा रखें और खुद पर भी। इससे दोनों का भला रहेगा और बीमारी से जल्द निजात मिलेगी।
15 दिन में 32 मौत
कोरोना से केवल प्रयागराज में ही 15 दिनों में 32 लोगों की मौत हो चुकी है। डॉक्टर बताते हैं कि इनमे छह से आठ लोगों की ब्रीथ सैचुरेशन मन मे घबराहट के चलते अचानक डाउन हुई थी।