Coronavirus Effect in Prayagraj : प्रयागराज मंडल में 40 आइसोलेशन कोच तैयार, जिला प्रशासन की हां के बाद स्वास्थ्य विभाग के हवाले होंगे
Coronavirus Effect in Prayagraj एक कोच में 16 मरीज भर्ती किए जाएंगे। यानी 40 कोच में कुल 640 संक्रमितों का इलाज किया जा सकेगा। लोअर बर्थ पर ही मरीजों का उपचार होगा। यह कोच जिस अस्पताल से संबद्ध होंगे वहां के डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती होगी।
प्रयागराज,जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर से लडऩे में उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) भी जिला प्रशासन की मदद के लिए तैयार है। उसके आइसोलेशन कोच तैयार हैैं, उसे जिला प्रशासन की तरफ से औपचारिक आग्रह का इंतजार है। सूबेदारगंज यार्ड में खड़े इन कोचों को फिर से व्यवस्थित किया गया है। इनमें 640 संक्रमितों का उपचार किया जा सकेगा।
पिछले साल जब कोरोना का संक्रमण चरम पर था तब रेलवे ने विभिन्न डिब्बों (कोचों) को आइसोलेशन कोच के रूप में तब्दील किया था। इसी क्रम में उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल में 40 आइसोलेशन कोच तैयार किए गए थे। इलाज के लिए जरूरी इंतजाम करने पर करीब 30-35 हजार रुपये प्रति कोच खर्च हुआ।
एक कोच में कुल आठ केबिन हैैं। स्टोर रूम के अलावा पैरामेडिकल स्टाफ के लिए केबिन है। बिस्तर, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवा और पानी की बोतल रखने की सुविधा है। संक्रमितों द्वारा इस्तेमाल वस्तुओं से निकले कचरे को अलग रखने के लिए हर बेड के पास कूड़ेदान है। एक कोच में शौचालय और बाथरूम है। खिड़कियों में मच्छरदानी लगी है। एक कोच में 16 मरीज भर्ती किए जाएंगे। यानी 40 कोच में कुल 640 संक्रमितों का इलाज किया जा सकेगा। लोअर बर्थ पर ही मरीजों का उपचार होगा। यह कोच जिस अस्पताल से संबद्ध होंगे, वहां के डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती होगी। एनसीआर के सीपीआरओ अजीत कुमार सिंह ने बताया कि प्रयागराज मंडल में 40 आइसोलेशन कोच तैयार है। जिला प्रशासन से डिमांड मिलने पर इन कोचों को स्वास्थ्य विभाग को सौंपा जाएगा।
एनसीआर में 130 आइसोलेशन कोच
उत्तर मध्य रेलवे ने पिछले ही साल रेलवे बोर्ड द्वारा जारी मानक के अनुरूप आइसीएफ डिजाइन के 130 जनरल और स्लीपर (शयनयान) को आइसोलेशन कोचों में तब्दील किया था। झांसी कोच मिडलाइफ कार्यशाला ने 50, प्रयागराज मंडल ने 40 और आगरा तथा झांसी मंडलों ने 20-20 आइसोलेशन कोच तैयार किए हैैं। इस तरह कुल 130 आइसोलेशन कोच में 2080 संक्रमितों का इलाज हो सकेगा। सोमवार शाम तक कहीं भी राज्य सरकार की तरफ से जिला प्रशासन ने इसके लिए मांग नहीं की थी।