CoronaVirus ​​​Effect: ​​शादी के सीजन में कारोबारियों को थी बहुत आस, कोरोना के कहर से सब फ्लॉप

रमीरा फ्लेक्सिबल पैकेजिंग के प्रोपराइटर अंकित रमीरा का कहना है कि पिछले साल ठंड की सहालग भी हल्की रही। होली में बाजार बहुत नहीं चढ़ सका था। इससे दिसंबर से लेकर मार्च तक बाजार एकदम सूखा था। गर्मी की सहालग अच्छी होने से बाजार के चढऩे के पूरे आसार थे।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 12:50 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 12:50 PM (IST)
CoronaVirus ​​​Effect: ​​शादी के सीजन में कारोबारियों को थी बहुत आस, कोरोना के कहर से सब फ्लॉप
गर्मी की सहालग से अपने उद्यम को फिर से रफ्तार मिलने की आस थी। कोरोना ने सब चौपट कर दिया

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना के कारण पिछले साल लॉकडाउन में नुकसान झेल चुके उद्यमी किसी तरह अपनी इकाइयों को धीरे-धीरे पटरी पर लाना शुरू किए थे। उन्हें इस गर्मी की सहालग से अपने उद्यम को फिर से रफ्तार मिलने की आस थी। लेकिन, कोरोना के दूसरे चरण के और घातक होने से जो हालात बन गए हैं, उससे औद्योगिक क्षेत्र की इकाइयों को चलाना फिर से बेहद मुश्किल हो गया है।

इकाइयों में उत्पादन घटा पर खर्चें पूर्ववत, कच्चे माल के दाम भी बेतहाशा बढ़े

कंपनियों में उत्पादन घटने और उत्पादों की मांग में बेतहाशा कमी होने से उद्यमियों को फिर अपनी सारी योजना फ्लॉप होती नजर आ रही है। बहरहाल, हर किसी की प्राथमिकता अपनी और अपने स्टॉफ की इस महामारी से सुरक्षा है। रमीरा फ्लेक्सिबल पैकेजिंग के प्रोपराइटर अंकित रमीरा का कहना है कि पिछले साल ठंड की सहालग भी हल्की रही। होली में भी बाजार बहुत नहीं चढ़ सका था। इससे दिसंबर से लेकर मार्च तक बाजार एकदम सूखा था। गर्मी की सहालग अच्छी होने से बाजार के चढऩे के पूरे आसार थे। इससे सुस्त पड़ी इकाइयों की रिकवरी के आसार थे मगर, कोरोना की लहर ने उस उम्मीद को पूरी तरह से तोड़ दिया।

हर किसी की प्राथमिकता अपनी और अपने स्टॉफ की इस महामारी से सुरक्षा

हर कारोबारी की पहली प्राथमिकता अपनी और अपने स्टॉफ की सुरक्षा की है। मेरी कंपनी में ज्यादातर स्टॉफ आसपास के हैं मगर, एक बुजुर्ग स्टॉफ यहीं शहर में हैं। उन्हें कोरोना के कारण अपने साथ लेकर कंपनी जाता और आता हूं। तिरुपति बेकर्स के एक शीर्ष पदाधिकारी का कहना है कि एक-दो दिनों से कामगारों की समस्या होने लगी है। वर्कर्स नहीं आ रहे हैं। इससे एक दिन में ही करीब 10 से 15 फीसद तक उत्पादन घट गया है। अगर आगे भी ऐसे हालात रहे तो उत्पादन और घटेगा। इससे इकाई को चलाने में मुश्किलें होंगी। 

बढ़े दाम को नहीं देना चाहती पार्टियां

अयान पैकेजिंग के प्रोपराइटर और यूपी स्टेट इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष के खान का कहना है कि कच्चा माल बहुत महंगा हो गया है। पार्टियां बढ़े दाम को नहीं देना चाहती हैं। उद्यमी 'नो प्रॉफिट, नो लॉस पर काम कर रहे हैं। गिनी-चुनी फैक्ट्रियां चल रही हैं। अगर अब लॉकडाउन हुआ तो इकाइयों को डूबने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा। बैंक का कर्ज, बिजली का बिल, वर्करों का वेतन देना ही है। कोई कमी होने पर उद्यमियों पर जुर्माना लगा दिया जाता है लेकिन, सरकारी विभागों की गलतियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।

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