पतली दुबली काया वालों से हार रहा कोरोना!
कोरोना संक्रमण का कहर दुबले पतले यानी कम वजनी लोगों पर कम है। ऐसे लोग बीमारी होने पर भी जल्द ठीक हो जा रहे हैं।
मनीष मिश्रा, प्रयागराज : कोरोना संक्रमण का कहर दुबले पतले यानी कम वजनी लोगों पर कम है। ऐसे लोगों का रिकवरी रेट ज्यादा है और वजनी लोगों का काफी कम। स्वरूपरानी नेहरू कोविड अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों में ज्यादातर ऐसे लोग जल्द स्वस्थ हो रहे हैं जो दुबले पतले हैं जबकि भारी शरीर वाले मरीजों के ठीक होने में समय लग रहा है। इस बारे में कोई अधिकृत शोध तो नहीं हुआ है, लेकिन यहां यह आकलन चिकित्सकों का है।
माना जाता है कि कम वजन वाले लोगों के शरीर की इम्युनिटी मोटे लोगों की अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। मोटे लोगों में फैट की मात्रा अधिक पाई जाती है और ऐसे लोगों को ही कोरोना को मात देने में समय ज्यादा लग रहा है। अधिक मोटापा वाले मरीजों को तो आइसीयू तक में रखने की जरूरत पड़ रही है। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शिवेंदु ओझा एसआरएन लेवल थ्री कोविड अस्पताल की आइसीयू में दो बार ड्यूटी कर चुके हैं। करीब एक माह का समय उन्होंने कोरोना मरीजों के बीच बिताया है। वह बताते हैं कि ड्यूटी के दौरान उन्होंने आइसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों पर गौर किया। इसमें यह बात स्पष्ट दिखी कि कोरोना वायरस अधिक उम्र और मोटापा वाले ऐसे लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है जो पुरानी बीमारियों से जूझ रहे हैं।
डा. ओझा के अनुसार उनकी ड्यूटी के दौरान तेजी से स्वस्थ होने वाले 100 मरीजों में 70 ऐसे थे, जिनका वजन कम था और वह पुरानी किसी बीमारी से ग्रसित नहीं थे। वह कहते हैं कि वजनी व मोटी काया वाले मरीजों को सास संबंधी परेशानी ज्यादा है। ऐसे लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। साथ ही ज्यादातर ऐसे लोग डायबिटीज, ब्लड प्रेशर व अन्य बीमारियों से भी ग्रसित होते हैं।