Corona Fighters: संयम और मजबूत इरादे से स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर विपिन सिंह संक्रमण को हराने में रहे सफल Prayagraj News
Corona Fighters होम आइसोलेशन में रहते हुए परिवार के किसी दूसरे सदस्य में संक्रमण न होने पाए। स्मार्ट सिटी मिशन के असिस्टेंट मैनेजर विपिन सिंह ऐसा करने में सफल रहे और उन्होंने कोरोना को मात दे दी। स्मार्ट सिटी मिशन के असिस्टेंट मैनेजर 12 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हुए।
प्रयागराज,जेएनएन। कोरोना को हराने के लिए नियम, संयम, मजबूत इरादे की तो जरूरत है ही, इसके संक्रमण को मारने में साफ-सफाई की भी विशेष भूमिका है। इस बात का भी ख्याल रहना होता है कि होम आइसोलेशन में रहते हुए परिवार के किसी दूसरे सदस्य में संक्रमण न होने पाए। स्मार्ट सिटी मिशन के असिस्टेंट मैनेजर विपिन सिंह ऐसा करने में सफल रहे और उन्होंने कोरोना को मात दे दी। स्मार्ट सिटी मिशन के असिस्टेंट मैनेजर 12 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हुए। उन्होंने होम क्वारंटाइन रहते हुए नगर निगम के डॉक्टर से सलाह लेकर अपना इलाज शुरू किया। उनके घर पर दवाएं पहुंचाई गईं। वह बताते हैं कि साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया, जिससे दूसरे तक संक्रमण नहीं पहुंच पाया। दिन में दो से तीन बार भाप लेते रहे। खानपान भी खास ध्यान देते रहे। इसमें थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाते रहना चाहिए। दाल का जूस लेते रहना चाहिए, क्योंकि इससे प्रोटीन मिलता रहता है। गर्म पानी में हल्दी, नमक और नींबू का भी सेवन करते रहे। इससे गले में ही संक्रमण को रोक लेने में सफलता मिलती है और इस बीमारी से जल्दी ठीक होने में सहूलियत मिलती है। वह बताते हैं कि इसमें खुश रहना चाहिए और ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहना चाहिए। यही नहीं संक्रमण होने पर शरीर को लूज रखें जिससे दर्द ज्यादा नहीं होने पाता है। दवा का कोर्स जरूर पूरा करना चाहिए। सर्दी और खांसी जब तक पूरी तरह से ठीक न हो जाए, उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
कोरोना की रिपोर्ट जैसे ही पॉजिटिव आई तो दिल घबरा सा गया, पर संयम से काम लिया। खुद को समझाया। कुछ दिन आराम करेंगे और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर खुद को स्वस्थ बना लेंगे तो सब ठीक हो जाएगा। यही किया भी और लाभ भी मिला।
यह कहना है आर्यकन्या इंटर कॉलेज की कला प्रवक्ता अनुपमा श्रीवास्तव का। कहती हैं कि 15 दिनों तक खुद को दुनियादारी से अलग रखा। मन और शरीर दोनों स्वस्थ हो गया। इस बीच प्रतिदिन योग, प्राणायाम, गर्म पानी भाप लेते रहे। यहां तक कि सोशल मीडिया की नकारात्मक खबरों को भी पूरी तरह से छोड़ दिया। बस सकारात्मक चीजों को भी देखना, सुनना और अपने शुभचिंतकों से फोन के जरिए जुड़े रहे। शेष खाली समय में ईश्वर का भजन करते रहे। सब से अधिक लाभ प्राणायाम से मिला। इससे शरीर में जो सुस्ती थी वह खत्म हो जाती थी। फेफड़ों में शुद्धा हवा जाने के साथ ही दिमाग में भी ताजी हवा पहुंचती। यह सब करते हुए 14 दिन कब बीत गए पता ही नहीं चला। अब जिंदगी की गाड़ी पटरी पर आ चुकी है। परिवार के सभी सदस्यों को भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीजें खाने को दे रहे हैं।