Corona Effect On Eid : बच्चों के लिए फीकी रही ईद, मेला नहीं लगा और ईदी भी नहीं मिली
कोरोना काल में अधिकांश लोगों ने किसी न किसी अपनों को खोया है। अटाला में रहने वाले दिलशाद मंसूरी बताते हैं कि कोरोना के चलते उनके भांजे का इंतकाल हो गया था। इससे ईद की खुशियां कमजोर हो गईं। उन्होंने भतीजे भतीजी को ईदी तो दी लेकिन बहुत छोटी।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना महामारी के चलते बीते साल की तरह इस बार भी ईद का त्योहार फीका रहा। खासकर उन बच्चों के लिए जिन्हें हर ईद पर ईदी के रूप में बड़े, सुंदर और अच्छे तोहफे मिलते थे। इस बार प्रयागराज में दो दिन यानी गुरूवार के बाद शुक्रवार को भी ईद मनाई जा रही है मगर कोरोना महामारी और संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू कर्फ्यू के चलते तमाम परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई, जिसका असर ईद पर साफ तौर पर नजर आया। तमाम बच्चों को अबकी ईदी नहीं मिल सकी तो मेला नहीं लगने की वजह से वे हर साल की तरह घूमने-फिरने भी नहीं जा सके। कई परिवार के सदस्य के चेहरे पर खुशी थी तो मन में कुछ अच्छा न कर पाने का मलाल भी था। पुराने कपड़े में ही ईद की खुशियों को जेहन में बटोर लिया।
काम ठप और घर में गमी भी तो ईदी में कटौती
सवा साल के कोरोना काल में अधिकांश लोगों ने किसी न किसी अपनों को खोया है। अटाला में रहने वाले दिलशाद मंसूरी बताते हैं कि कोरोना के चलते उनके भांजे का इंतकाल हो गया था। इससे ईद की खुशियां कमजोर हो गईं। उन्होंने भतीजे अरफान, भतीजी अर्सिया और हसनैन, उमरा को ईदी तो दी, लेकिन बहुत छोटी। यतीम बच्चों को भी कोरोना से बचाने के लिए मास्क के साथ चंद रुपये दिए। वहीं, करेली निवासी रफीक कहते हैं कि कोरोना के कारण उनका काम बंद हो गया। किसी तरह त्योहार तो मनाया, मगर किसी को ईदी नहीं दे पाए। पिछले साल भी कोरोना के दौरान ईद पडऩे पर ऐसा नहीं हुआ था, लेकिन इस दफा माहौल काफी बदला रहा। ऐसे और भी तमाम शख्स हैं, जिनके घर में ईद धूमधाम से नहीं मनाई जा सकी है।