लॉकडाउन है तो क्‍या हुआ, कान्‍वेंट स्‍कूलों ने पढ़ाने की निकाली ये तरकीब Prayagraj News

सभी विषय के शिक्षक आधे-आधे घंटे की क्लास लेते हैं। इसमें बच्चे सवाल भी पूछ सकते हैं। दसवीं के बच्चे देवांश रविकांत ने बताया कि इस एप के जरिए उनकी पढाई ठीक से हो रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 28 Mar 2020 07:52 PM (IST) Updated:Sat, 28 Mar 2020 07:52 PM (IST)
लॉकडाउन है तो क्‍या हुआ, कान्‍वेंट स्‍कूलों ने पढ़ाने की निकाली ये तरकीब Prayagraj News
लॉकडाउन है तो क्‍या हुआ, कान्‍वेंट स्‍कूलों ने पढ़ाने की निकाली ये तरकीब Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन। कोरोना ने सभी लोगों के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी है। इससे हर तबका पीडि़त है। खासकर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित रही थी। इसलिए कान्वेंट स्कूलों ने आनलाइन क्लासेज शुरू कर दी है। इसमें शिक्षक और बच्चे अपने-अपने घर पर ही रहेंगे लेकिन आनलाइन एक दूसरे जुड़कर पढ़ाई करते रहेंगे। इससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान नहीं होगा।

एप के जरिए शुरू की पढाई

होली से पहले सभी स्कूलों में परीक्षाएं हो गई थी। होली के बाद सभी स्कूल खुलने थे लेकिन कोरोना का ऐसा प्रकोप शुरू हुआ तो सभी को घरों को में ही रोक दिया गया। उम्मीद है कि यह रोक अप्रैल भर रहेगी। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने लगी तो कुछ स्कूलों आनलाइन क्लासेज शुरू कर दी है। पांच दिन पहले महर्षि पतंजलि ऋषिकुल स्कूल ने आनलाइन क्लासेज की शुरुआत की है। स्कूल की प्रिंसिपल सुस्मिता कानूनगो ने बताया कि जूम क्लाउड एप के जरिए आनलाइन क्लासेज की शुरुआत की है। ऐसी व्यवस्था अब तक दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और विदेशों में थी। स्कूल की सेक्रेटरी डा. कृष्णा गुप्ता की पहल पर ऐसी शुरूआत की है। अब ऐसे ही कई और स्कूल शुरू करने जा रहे हैं।

कैसे पढ़ाते हैं आनलाइन

आनलाइन पढ़ाई के लिए शिक्षक और बच्चे अपने मोबाइल या लैपटाप जूम क्वाउड मीटिंग एप डाउनलोड करते उसमें एकाउंट बनाते हैं। फिर जिस टीचर को जितने बजे आनलाइन होना होता है, वह बच्चे को एक आइडी और पासवर्ड भेजते हैं। उस आइडी और पासवर्ड को एप में डालते ही बच्चे आनलाइन हो जाते हैं। प्रिंसिपल सुस्मिता कानूनगो ने बताया कि सुबह दस से एक और शाम को चार से सात बजे शिक्षक आनलाइन रहते हैं। सभी विषय के शिक्षक आधे-आधे घंटे की क्लास लेते हैं। इसमें बच्चे सवाल भी पूछ सकते हैं। दसवीं के बच्चे देवांश, रविकांत, हर्ष तिवारी, अर्पित आदि ने बताया कि इस एप के जरिए उनकी तैयारी ठीक हो रही है। इस दौरान केवल इंटरनेट डाटा खर्च होता है।

भेज रहे वीडियो बनाकर

एसएमसी की शिक्षिका गरिमा ने बताया कि पहली से लेकर 12वीं तक के शिक्षक अपने-अपने विषय के आधे-आधे घंटे का वीडियो बनाकर स्कूल की वेबसाइट पर डाल दे रहे हैं। बच्चे उसे यू-ट्यूब पर देखकर पढ़ रहे हैं। सभी बच्चें वाट्सएप ग्रुप के जरिए शिक्षकों से जुड़े हैं, जिस पर सवाल भी पूछते हैं। इस पहल से बच्चों की पढ़ाई का नुकसान नहीं होगा।

chat bot
आपका साथी