जानिए कौन थे वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता पंडित अयोध्या नाथ, जिनके प्रयास से प्रयागराज में हो सका था कांग्रेस का अधिवेशन

इतिहासकार प्रोफेसर हेरंब चतुर्वेदी बताते हैं कि पंडित अयोध्यानाथ विद्वान अधिवक्ता उत्साही देशभक्त तथा महान संगठनकर्ता थे। उनकी सेवाओं से प्रदेश में कांग्रेस को नई दिशा मिली। प्रदेश विशेषकर प्रयागराज में उन्होंने उस समय कांग्रेस का प्रचार प्रसार किया जब लोग इसका चवन्नियां मेंबर बनने से कतराते थे।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 03:08 PM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 03:08 PM (IST)
जानिए कौन थे वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता पंडित अयोध्या नाथ, जिनके प्रयास से प्रयागराज में हो सका था कांग्रेस का अधिवेशन
कांग्रेस का चौथा अधिवेशन प्रयागराज में कराने में वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता पंडित अयोध्यनाथ का बड़ा योगदान रहा।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज में कांग्रेस का पहला अधिवेशन कराने के लिए काफी प्रयास हुआ था। उस जमाने में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) की विभूतियों ने इसके लिए काफी प्रयास किए थे। अधिवेशन को यहां कराने में सबसे बड़ा योगदान तबके वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता पंडित अयोध्या नाथ का था। वे कांग्रेस के संस्थापक सदस्य नहीं थे। लेकिन जब से उन्होंने इस संगठन के लिए काम करना शुरू किया इसके लिए समर्पित हो गए। उन्होंने कांग्रेस को अपने जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य बना लिया था। उन्हीं के प्रयासों का नतीजा था कि 1888 में कांग्रेस का पहला अधिवेशन प्रयागराज में हुआ था।

चवन्नियां मेंबर बनने से कतराते थे लोग
इतिहासकार प्रोफेसर हेरंब चतुर्वेदी बताते हैं कि पंडित अयोध्यानाथ विद्वान अधिवक्ता, उत्साही देशभक्त तथा महान संगठनकर्ता थे। उनकी सेवाओं से प्रदेश में कांग्रेस को नई दिशा मिली। प्रदेश विशेषकर प्रयागराज में उन्होंने उस समय कांग्रेस का प्रचार प्रसार किया जब लोग इसका चवन्नियां मेंबर बनने से कतराते थे। अयोध्यानाथ  की तब स्वाध्याय तथा सामाजिक कार्यों में रुचि थी।

निकाला था अंग्रेजी दैनिक इंडियन हेराल्ड
प्रो.चतुर्वेदी बताते हैं कि अयोध्यानाथ ने प्रयागराज में 1879 में अंग्रेजी दैनिक इंडियन हेराल्ड निकाला था। यह अखबार तीन साल ही चल सका। 1890 में उन्होंने इंडियन यूनियन नामक एक अन्य समाचार पत्र का प्रकाशन किया। इसी दौरान सरकार ने उन्हें उत्तर पूर्व प्रांत की व्यवस्थापिका परिषद का सदस्य नियुक्त किया। वह कलकत्ता एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फेलो भी नियुक्त हुए थे।

1886 में कांग्रेस में हुए थे शामिल
प्रो.हेरंब चतुर्वेदी बताते हैं कि अयोध्यानाथ 1886 में कांग्रेस की नीतियों से प्रभावित होकर शामिल हुए थे। संयुक्त प्रांत के रामकाली चौधरी, जे घोषाल तथा गंगा प्रसाद वर्मा की तरह वे कांग्रेस के संस्थापक सदस्य नहीं थे। पर वे कांग्रेस के लिए तन मन धन से काम करते थे। उन्हीं के प्रयासों का नतीजा था कि 1888 में कांग्रेस का अधिवेशन प्रयागराज में हुआ था। उन्होंने प्रयागराज में कांग्रेस का अधिवेशन कराने की उत्कृष्ट अभिलाषा इन शब्दों में प्रकट की थी- यदि उत्तर पूर्व प्रांत के निवासी उदासीन रहेंगे, यद्यपि वे नहीं है, तो मैं अपने पास से पचास हजार खर्च करके कांग्रेस के अधिवेशन का व्यय स्वयं वहन करूंगा। मुंबई में 1889 में कांग्रेस के पांचवे अधिवेशन में उन्होंने भाग लिया और व्यवस्थापिका सभा में सुधार की मांग करते हुए ब्रिटिश सरकार के दिखावे की तीखी आलोचना की थी।

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