MNNIT के हास्टल में एमटेक छात्रा की मौत का राज उजागर करने के लिए कमेटी गठित
जया एमएनएनआइटी में एमटेक अंतिम वर्ष की छात्रा थी। वह आइएचबी गर्ल्स हास्टल में रहती थी। पिछले हफ्ते शनिवार की रात उसके पिता विजय कुमार को फोन कर बताया गया था कि जया की तबीयत बिगड़ गई है। उसे अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी (एमएनएनआइटी) में एमटेक अंतिम वर्ष की छात्रा जया पांडेय की मौत का राज खंगालने के लिए संस्थान ने कमेटी का गठन किया है। इसके अलावा पुलिस प्रशासन भी विभिन्न पहलुओं पर जांच कर रही है। वहीं, छात्रा के पिता ने संस्थान और पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हुए दोनों को कठघरे में खड़ा किया है।
एक साथ निगल ली थीं 40 से ज्यादा बीपी कम करने की गोलियां
मूलरूप से बिहार के रोहतास जनपद स्थित धरकंदा थानाक्षेत्र के दावद की रहने वाली जया एमएनएनआइटी में एमटेक अंतिम वर्ष की छात्रा थी। वह आइएचबी गर्ल्स हास्टल में रहती थी। पिछले हफ्ते शनिवार की रात उसके पिता विजय कुमार को फोन कर बताया गया था कि जया की तबीयत बिगड़ गई है। उसे अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। रविवार सुबह विजय प्रयागराज पहुंचे तो बताया गया कि इलाज के दौरान उनकी बेटी ने दम तोड़ दिया। डाक्टरों की मानें तो उसने बीपी कम करने की 40-45 गोलियां एक साथ निगल ली थी। इससे जया की मौत हुई। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी ने बताया कि मामले की सच्चाई जानने के लिए बुधवार को चीफ प्राक्टर प्रोफेसर केएन पांडेय की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में चीफ वार्डेन गर्ल्स प्रो. विजया भदौरिया के अलावा संस्थान के दो अन्य शिक्षक डा. हरनाथ कर और डा. अनिल सिंह को भी शामिल किया गया है। कमेटी ने अपने स्तर पर जांच भी शुरू कर दी है। अब यह कमेटी जल्द अपनी रिपोर्ट निदेशक को सौंप देगी। इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर संस्थान अगला निर्णय लेगा।
पुलिस को अब तक तहरीर का ही इंतजार
प्रयागराज : मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) में एमटेक की छात्रा जया पांडेय की मौत के मामले में शिवकुटी पुलिस को तहरीर का इंतजार है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हार्ट अटैक से मौत की पुष्टि हुई है। उसके कमरे से भी केवल ब्लड प्रेशर की दवा से जुड़ी सामग्री ही बरामद हुई है। ऐसे में बिना लिखित शिकायत के मुकदमा दर्ज करने या जांच करने का औचित्य नहीं बन पा रहा है। हालांकि सवाल यह भी उठ रहा है कि जब मामला संदिग्ध लग रहा था, तब पुलिस ने छात्रा का मोबाइल उसके पिता को क्यों दे दिया। इसके अलावा पिता विजय पांडेय ने पहले कहा था कि उनकी बेटी को कोई बीमारी नहीं थी। उसे जबरन दवा खिलाई जा सकती है। इस आरोप भी पुलिस ने गंभीरता से छानबीन नहीं की थी। दवा कब, कहां और कैसे खरीदी गई थी, इसका भी उत्तर पुलिस के पास नहीं है। मूलरूप से बिहार की रहने वाली जया पांडेय संस्थान के आइएचबी हास्टल में रहकर एमटेक की पढ़ाई कर रही थी।