लोन दिलाने में जुटे प्रयागराज में वाणिज्य कर के अफसर, व्यापारियों के मामलों की नहीं है उन्हें फिक्र
वाणिज्यकर विभाग के कर निर्धारण अधिकारी से लेकर अधिकांश अफसरों की ड्यूटी स्ट्रीट वेंडरों को लोन दिलाने में लगा दी गई है। इससे अफसरों का पूरा समय बैंकों में बीत रहा है। दफ्तर में न बैठने से वैट के केसों की सुनवाई और उसका निस्तारण नहीं हो पा रहा है
प्रयागराज, जेएनएन। वाणिज्यकर विभाग के कर निर्धारण अधिकारी से लेकर डिप्टी कमिश्नर तक के अधिकांश अफसरों की ड्यूटी स्ट्रीट वेंडरों को लोन दिलाने में लगा दी गई है। इससे अफसरों का पूरा समय बैंकों में बीत रहा है। दफ्तर में न बैठने से वैट के केसों की सुनवाई और उसका निस्तारण नहीं हो पा रहा है। व्यापारियों और अधिवक्ताओं को निराश होकर लौटना पड़ता है। इससे व्यापारियों में बैचेनी बढ़ रही हैं, क्योंकि समय पर निस्तारण नहीं होने पर उन्हें जुर्माना भरना पड़ेगा।
20 हजार मामले लंबित हैं जोन में, व्यापारियों में बढ़ रही है बैचेनी
वैट के वित्तीय वर्ष 2017-18 के पहले तिमाही (अप्रैल, मई, जून) के मामलों के निस्तारण के लिए शासन ने 31 मार्च तक की समय सीमा तय की है। प्रयागराज जोन में करीब 20 हजार प्रकरण लंबित हैं। इतने मामलों का सुनवाई करके निस्तारण करने के लिए अफसरों के पास केवल 28 दिन बाकी हैं। लेकिन, कर निर्धारण अधिकारी से लेकर डिप्टी कमिश्नर तक के 31 अफसरों की ड्यूटी प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडरों को लोन दिलाने में बैंकों में लगा दी गई है। अफसरों की ड्यूटी छह मार्च तक इस लक्ष्य के लिए लगाया गया है। खास यह कि इन अफसरों को प्रतिदिन शाम छह से रात साढ़े आठ बजे तक जिला प्रशासन की बैठक में शामिल होकर प्रगति की जानकारी भी देनी है। चूंकि, इन्हीं अफसरों को वैट के लंबित प्रकरणों की सुनवाई करके उसका निस्तारण भी करना है। लिहाजा, दफ्तर में बैठ न पाने के कारण केसों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में तय समय में वादों के निस्तारण और सुनवाई के अभाव में एकपक्षीय कार्रवाई की भी संभावना जताई जा रही है।
वाणिज्य कर अधिकारी का है यह कहना
जिला प्रशासन का आदेश है। अफसरों को दोनों काम करना है। बीच-बीच में वह दफ्तर में बैठकर केसों का निस्तारण कर रहे हैं। तय समय में सुनवाई करते हुए प्रकरणों का निस्तारण कर लिया जाएगा।
-डीएस तिवारी, एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-वन वाणिज्यकर विभाग