प्रयागराज में ऑक्‍सीजन बचाने की सराहनीय पहल, पीपल का पेड़ काटने के बजाय अन्‍यत्र कर दिया गया शिफ्ट

गंगा नदी पर वाराणसी के लिए बने रेल ब्रिज के बगल में टू लेन रेल ब्रिज बनाया जा रहा है। इसके रास्ते में झूंसी की तरफ पीपल का एक पेड़ आ रहा था। उसे शिफ्ट करने में जेसीबी की मदद ली गई।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 02:56 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 02:56 PM (IST)
प्रयागराज में ऑक्‍सीजन बचाने की सराहनीय पहल, पीपल का पेड़ काटने के बजाय अन्‍यत्र कर दिया गया शिफ्ट
प्रयागराज-वाराणसी रेलब्रिज के रास्ते में पड़ने वाले पीपल के पेड़ को काटा नहीं गया बल्कि उसे शिफ्ट कर दिया गया।

प्रयागराज, [प्रमोद यादव]। सामान्य दिन होते तो प्रयागराज-वाराणसी रूट पर झूंसी में नए बन रहे टू लेन रेलवे ब्रिज के रास्ते में पडऩे वाले करीब 20 साल पुराने पीपल के वृक्ष को शिफ्ट न किया जाता, बल्कि उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाते। पेड़ों को बचाने वाले वन विभाग ने इसके काटने की अनुमति भी दे दी थी। हालांकि वक्त है कोरोना महामारी का और आक्सीजन की भारी किल्लत है। ऐसे में रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के प्रोजेक्ट डायरेक्ट वीके अग्रवाल ने आक्सीजन बचाने की बड़ी पहल करते हुए पीपल के पेड़ को कटवाने के बजाय क्रेन और जेसीबी से नई जगह लगवा दिया है। नई जगह पर पेड़ को लगाकर चबूतरा भी बना दिया गया है। इसी के पास ही एक मंदिर था, उसे भी शिफ्ट कर दिया गया है। प्रयागराज में इस तरह का पहला प्रयास रहा।

ऐसे शिफ्ट किया गया पीपल का वृक्ष

गंगा नदी पर वाराणसी के लिए बने रेल ब्रिज के बगल में टू लेन रेल ब्रिज बनाया जा रहा है। इसके रास्ते में झूंसी की तरफ पीपल का एक पेड़ आ रहा था। उसे शिफ्ट करने से पहले करीब सौ मीटर दूर गड्ढा खोदकर उसमें पानी और गोबर की खाद डाली गई। फिर दो जेसीबी लगाकर पेड़ को खोदा गया। इस दौरान दो क्रेन लगाकर पेड़ को टांगे रखा गया ताकि उसकी जड़ न टूटे। करीब तीन मीटर गहरा गड्ढा खोदने के बाद उसे दो क्रेन से उठाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। इस काम में दर्जनभर से अधिक कर्मचारी लगे।

मझी आक्सीजन की कीमत : वीके अग्रवाल

प्रोजेक्ट डायरेक्ट आरवीएनएल वीके अग्रवाल कहते हैं कि पीपल के पुराने पेड़ को काटने के लिए वन विभाग से अनुमति मिल चुकी थी। हालांकि अभी आक्सीजन के संकट को देखते हुए हमने इसे कटवाने का विचार छोड़ और शिफ्ट करने का प्लान बनाया। ब्रिज बनाने के लिए क्रेन, जेसीबी, ट्रक और कर्मचारी हमारे पास थे ही। कुछ भी बाहर से नहीं मंगवाना पड़ा और पांच घंटे इसे शिफ्ट कर दिया।

वनस्पति विज्ञानी ने यह कहा

वनस्पति विज्ञानी एचपी पांडेय ने कहा कि पीपल के पेड़ को काटने के बजाय शिफ्ट करने की पहल बहुत ही सराहनीय है। ऐसा तो हर प्रोजेक्ट में होना चाहिए। पेड़ को शिफ्ट करने का अनुकूल समय बारिश और उसके दो महीने बाद तक का होता है। हालांकि यहां पर आरवीएनएल के अधिकारियों ने पहली बार ऐसा काम करके आक्सीजन बचाई है।

आप भी जानें, क्‍या कहते हैं चिकित्सक

एनेस्थेसिस्ट डा. राजेश मौर्या बोले कि सबसे अधिक आक्सीजन पीपल से ही मिलती है। पीपल का एक पेड़ बचाने का मतलब कई सिलिंडर आक्सीजन उपलब्ध कराने जैसा है। आज जिस तरह से आक्सीजन का संकट है, इस माहौल में पीपल का पेड़ बचाकर उन्होंने लोगों की जान बचाई है। ऐसे ही अन्य पेड़ काटने के बजाय शिफ्ट किए जाए।

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