कर्नलगंज में गूंजी थी शहनाई वादक कृष्णाराम चौधरी के ब्याह की 'शहनाई'

प्रख्‍यात शहनाई वादक कृष्‍णाराम चौधरी के निधन से कर्नलगंज के लोगों में भी उदासी है। इसी मोहल्‍ले में उनकी बारात आई थी और शहनाई बजी थी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 17 Jan 2019 11:04 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jan 2019 11:04 AM (IST)
कर्नलगंज में गूंजी थी शहनाई वादक कृष्णाराम चौधरी के ब्याह की 'शहनाई'
कर्नलगंज में गूंजी थी शहनाई वादक कृष्णाराम चौधरी के ब्याह की 'शहनाई'

प्रयागराज : जिनकी शहनाई के मुरीद देश और दुनिया में हैं, खुद उन शहनाई वादक कृष्णा राम चौधरी के ब्याह की शहनाई कर्नलगंज की गली में वर्ष 1968 में गजी थी। इसी गली में वह दूल्हा बनकर आए थे और यहीं से ही उनके जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ था। जब उनके निधन की सूचना यहां पहुंची तो मानो वह गली भी उदास हो गई थी। पूरा मोहल्ला शोक में डूब गया।

प्रयागराज में भी था पद्मश्री कृष्णा राम का आवास

पद्मश्री कृष्णा राम चौधरी वैसे तो मूलत: वाराणसी में कबीरचौरा के रहने वाले थे लेकिन उन्होंने अपना निवास प्रयागराज में बनाया। कारण बेटों की पढ़ाई व नौकरी और दूसरा ससुराल से लगाव। अपनी ससुराल के समीप ही उन्होंने अपना घर बनवा लिया था। यहां पर वह अपनी पत्नी व चार बेटे समेत पूरे परिवार संग रहते थे।

 

... दो दिन रुकी थी बारात

उनके पड़ोसी और पार्षद आनंद घिल्डियाल बताते हैं कि उन्हें वह दिन आज भी याद है जब कृष्णाराम चौधरी की बरात यहां आई थी। दो दिन बरात रुकी थी। ससुराल पक्ष के लोगों ने दो दिन तक खातिरदारी की थी और तीसरे दिन बरात वाराणसी के लिए वापस लौटी थी। ससुराल नजदीक होने के कारण वह हमेशा अपने सालों के पास पहुंच जाया करते थे। ससुराल के लोगों के साथ-साथ पूरे मोहल्ले के लोगों से उनका अच्छा संबंध था। आनंद कहते हैं कि करीब 20 सालों से कर्नलगंज में ही रहते थे, फिर भी बच्चों से लेकर बड़े तक उन्हें सभी जीजा कहकर संबोधित करते थे। बच्चों को हमेशा शिक्षा से जोडऩे के लिए नसीहत भी देते थे।

दादू हमेशा सभी को विद्या अर्जित करने की देते थे सीख

उनकी सुपौत्री मनीशिखा ने बताया कि दादू हमेशा हम सभी को यही सीख देते थे कि विद्या अर्जित करो और अनुशासन में रहो। परिवार वालों ने बताया कि अभी तबीयत खराब होने के कुछ दिन पहले ही उन्होंने खूब नृत्य किया था। उस दिन वह कुछ ज्यादा ही खुश थे।

शोक जताने पहुंचे शुभचिंतक

जैसे ही निधन का समाचार मिला तो उनके घर कर शुभचिंतकों का जमावड़ा हो गया। हर कोई कृष्णाराम की खासियत और उनके साथ बिताए लम्हों की चर्चा करता रहा। साहित्य और संगीत की विधा से जुड़े लोगों ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

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