जन्मजात टेढ़े पैर वाले बच्चों का प्रयागराज में इलाज संभव, इलाज की सुविधा भी निश्‍शुल्‍क होगी

डाक्‍टर केके सिंह आर्थोपेडिक सर्जन ने बताया कि बच्चे दिव्यांगता का दंश न झेलें इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की सहयोगी संस्था मिराकल क्लब फुट क्लीनिक का संचालन कर रही हैं। ऐसे बच्चों का चिह्नीकरण आंगनबाड़ी केंद्र तथा स्कूल में टीम करती है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 09:24 AM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 09:24 AM (IST)
जन्मजात टेढ़े पैर वाले बच्चों का प्रयागराज में इलाज संभव, इलाज की सुविधा भी निश्‍शुल्‍क होगी
बच्‍चों में जन्‍म के समय से जुड़ी विकृति का समाधान प्रयागराज में निश्‍शुल्‍क हो रहा है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। माता के गर्भ में ही कुछ बच्चों के पैर टेढ़े मेढ़े हो जाते हैं। जन्म के बाद इस बीमारी को सामान्य बोलचाल में जन्मजात दोष और मेडिकल की भाषा में क्लब फुट कहते हैं। प्रयागराज के बेली अस्पताल में टेनोटामी विधि द्वारा ऐसे आठ बच्चों का इलाज किया गया। इलाज के बाद बच्‍चों के अभिभावकों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। इससे उम्‍मीद जगी है कि अब इस समस्‍या से जूझ रहा हर बच्‍चा मुस्‍कराएगा।

मिराकल क्लब फुट क्लीनिक का संचालन

डाक्‍टर केके सिंह आर्थोपेडिक सर्जन ने बताया कि बच्चे दिव्यांगता का दंश न झेलें, इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की सहयोगी संस्था मिराकल क्लब फुट क्लीनिक का संचालन कर रही हैं। इसके तहत ऐसे बच्चों का चिह्नीकरण आंगनबाड़ी केंद्र तथा स्कूल में टीम के द्वारा व डिलेवरी पाइंट पर किया जाता है।

सामान्‍य विकृति का बच्चा आम बच्चों की तरह सामान्य हो सकता है

आर्थोपेडिक सर्जन ने जानकारी दी कि आरबीएसके की टीम ऐसे बच्चों के घरवालों से संपर्क कर सहयोगी संस्था मिराकल को बताती हैं ताकि इन बच्चों का उपचार शुरू किया जा सके। उन्‍होंने स्वजन को क्लब फुट की जानकारी देते हुए बताया जाता है कि यह एक सामान्य विकृति है। अगर बच्चे के इलाज में लापरवाही न की जाए तो उनका बच्चा आम बच्चों की तरह सामान्य हो सकता है और क्लब फुट विकृति को हराकर हर बचपन मुस्कुराने लगता है।

इलाज की प्रक्रिया लंबी पर परिणाम बेहद सकारात्मक : डाक्‍टर एआर पाल

अस्थि रोग विशेषज्ञ डाक्‍टर एआर पाल ने बताया कि ऐसे बच्चे जिनके पन्जे जन्मजात मुड़े हैं, उनके इलाज के पहले चरण में उनकी कास्टिंग की जाती है। उसके बाद एक छोटा सा आपरेशन करके प्लास्टर किया जाता है। इसे टेनोटामी कहते हैं। इसे हर सात दिन पर बदला जाता है। यह प्रक्रिया 4-6 बार की जाती है और उसके बाद तीसरे और आखिरी चरण में बच्चे के पंजों का बेस बनाकर दिया जाता है। इसे ब्रेसिंग बोलते हैं, ताकि पंजे वापस से न मुड़े। इस इलाज की प्रक्रिया भले थोड़ी लंबी है पर परिणाम बेहद सकारात्मक है। इसलिए माना जाता है कि परिजन की जागरूकता से क्लब फुट हारेगा।

जानें, ऐसे बच्‍चों के माता-पिता क्‍या कहते हैं

क्लब फुट के इस जागरूकता कार्यक्रम में मौजूद जनपद के हनुमानगंज से आई सायरा बानों ने बताया कि उनके आठ माह के बच्चे के दोनों पैर जन्मजात टेढ़े हैं। वह दूसरी बार बच्चे को लेकर आई हैं। जन्म की अपेक्षा अब थोड़ा सुधार बच्चे के पैर में देखने को मिल रहा है। आलेमऊ गांव से आए हरिश्चंद्र ने बताया कि उनका बच्चा अभी चार माह का है। उसका एक पैर टेढ़ा है। इसके उपचार के लिए वह पहली बार आए हैं। वहां मौजूद चिकित्सकों से मिली जानकारी के आधार पर अब वह निश्चिंत हैं कि उनका भी बच्चा आम बच्चों कि तरह सामान्य हो सकता है। उन्होंने कहा कि मैं एक परिजन होने के नाते चिकित्सकों की हर सलाह मानूंगा ताकि मेरे बच्चे का भविष्य सुनहरा कल देख सके।

इलाज महंगा नहीं बल्कि निश्‍शुल्‍क है : विक्रांत विश्‍वास

मिराकल फीट संस्थान के जिला कार्यक्रम अधिकारी विक्रांत विश्वास ने बताया कि ऐसे बच्चों का इलाज कराने के लिए स्वजन को महंगी रकम खर्च करनी पड़ती थी और बहुत दौड़ लगानी पड़ती थी। अब जनपद में ही जन्मजात टेढ़े-मेढ़े पैर वाले बच्चों के स्‍वजन हमसे संपर्क शुरू कर रहे हैं। इन बच्चों का निश्‍शुल्क इलाज किया जाता है। आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार को अस्पताल आने के लिए हम यात्रा किराया भी उपलब्ध कराते हैं। इसके साथ ही मिराकल संस्था शून्य से चार साल तक के बच्चों को निश्‍शुल्क विशेष जूता (ब्रेस) मुहैया कराता है।

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