गांव-गांव तलाशे जाएंगे दिव्यांग माता-पिता के बच्चे, शासन को ब्योरा भेजने के बाद मिलेगा अनुदान

काफी संख्या में पति व पत्नी हैं जो दिव्यांग हैं। दिव्यांग होने से वह कामकाज कर पाने में अक्षम हैं। ऐसे कुछ परिवार का तो दिव्यांग पेंशन के सहारे खर्च चल रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। बच्चों का खर्च व पढ़ाई नहीं हो पा रही है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 03:01 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 03:01 PM (IST)
गांव-गांव तलाशे जाएंगे दिव्यांग माता-पिता के बच्चे, शासन को ब्योरा भेजने के बाद मिलेगा अनुदान
तमाम दंपती दिव्यांग हैं। कामकाज नहीं कर पाने से उनके बच्चों का भरण पोषण नहीं हो पा रहा

प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। प्रतापगढ़ जिले में तमाम ऐसे दंपती हैं जो दिव्यांग हैं। कामकाज नहीं कर पाने से उनके बच्चों का भरण पोषण नहीं हो पा रहा है। ऐसे बच्चों की तलाश करने के लिए सचिव समेत कर्मचारी गांव-गांव जाएंगे। फिर उनका ब्यौरा शासन को भेजा जाएगा। शासन से ऐसे परिवारों को अनुदान देने की तैयारी है।

लाचार हैं परिवार तो मिलेगी राहत

प्रतापगढ़ जनपद में 17 ब्लाक हैं। इसमें सदर, आसपुर देवसरा, पट्टी, मंगरौरा, बाबा बेलखरनाथ धाम, गौरा, बिहार, मानधाता, कुंडा, कालाकांकर, लक्ष्मणपुर, रामपुर संग्रामगढ़, सागीपुर, लालगंज सहित अन्य हैं। इसके अंतर्गत एक हजार 193 ग्राम पंचायतें हैं। इन ग्राम पंचायतों में काफी संख्या में पति व पत्नी हैं जो दिव्यांग हैं। दिव्यांग होने से वह कामकाज कर पाने में अक्षम हैं। ऐसे कुछ परिवार का तो दिव्यांग पेंशन के सहारे खर्च चल रहा है। इसके बाद भी परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। बच्चों का खर्च व पढ़ाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में दिव्यांगों को राहत देने के लिए दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के निदेशक अनूप कुमार ने पत्र के जरिए अफसरों से कहा है कि सभी ग्राम पंचायतों में इसका सत्यापन कराया जाए। ऐसे दंपती जो दिव्यांग हों, 80 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता हो। पति व पत्नी में किसी एक की मौत हो गई हो। उनके बच्चों की उम्र 18 वर्ष व उससे कम हो। ऐसे बच्चों को अनुदान देने के लिए नगर पंचायतों में सर्वे किया जाएगा। बीडीओ सदर डॉ. आकांक्षा सिंह ने बताया कि शासन से मिले निर्देश का पालन कराया जा रहा है।

प्रधानों का लिया जा सकता है सहयोग

शासन से जो ब्योरा तैयार करने को कहा गया है। इसमें जरूरत पडऩे पर सचिव ग्राम प्रधानों का भी सहयोग ले सकते हैं। सचिव उनके यहां जाकर यह देखेंगे कि वास्तविक स्थिति क्या है। रिपोर्ट ब्लाक के माध्यम से शीर्ष अफसरों को भेजा जाएगा।

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