कोरोना काल में घट गई बच्चों की सीखने की क्षमता, स्कूल और कक्षाएं बंद होने का असर

मनोविज्ञानी जयमेंद्र कुमार राय का कहना है कि हाल के सर्वे में देखा गया है कि बच्चों की वास्तविक आयु और मानसिक आयु में बड़ा अंतर आया है। इससे निपटने के लिए जरूरी है कि बच्चों को अकेला न छोड़ें। वह आनलाइन पढ़ाई करें तो उनके साथ कोई जरूर रहे

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 10:10 AM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 10:10 AM (IST)
कोरोना काल में घट गई बच्चों की सीखने की क्षमता, स्कूल और कक्षाएं बंद होने का असर
स्कूल बंद होने व भौतिक कक्षाएं न मिलने से बच्चों पर दुष्प्रभाव

अमलेंदु त्रिपाठी, प्रयागराज। कोरोनाकाल में स्कूल बंद रहे। कक्षाएं आनलाइन चलीं। सामूहिक रूप से बच्चे नहीं बैठ पाए, इसका दुष्प्रभाव अब देखने को मिल रहा है। बच्चों की याददास्त, सीखने की प्रवृत्ति के साथ बौद्धिक क्षमता में भी भारी गिरावट आई है। विषय की समझ कम होने के साथ उनमें परीक्षा का डर भी बढ़ा है। वह मोबाइल के भी आदी हो चुके हैं। शारीरिक क्षमता भी कमी देखी जा रही है।

बच्चों को अकेला न छोड़ें, घर व स्कूल में संवाद बढ़ाना जरूरी

मनोविज्ञानशाला के मनोविज्ञानी राजकुमार राय ने बताया कि ओल्ड कैंट क्षेत्र के पास रहने वाले कक्षा सात के एक विद्यार्थी का आईक्यू इतना घट गया कि उसे सामान्य गणित, विज्ञान कुछ भी नहीं समझ में आ रहा है जब कि पहले वह 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करता था। इसी तरह सधनगंज के कक्षा पांच के दो विद्यार्थीयों में भी बदलाव आया है। अब उनका मन आफलाइन कक्षाओं में नहीं लग रहा है। कई अन्य बच्चे भी डिप्रेशन का शिकार हुए हैं। वह कक्षा में टीचर के प्रश्नों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं। यह प्रवृत्ति प्राथमिक, उच्च प्राथमिक के साथ माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में भी देखी जा रही है।

शिक्षक गतिविधि आधारित अध्यापन करें

मनोविज्ञानशाला की निदेशक ऊषा चंद्रा का कहना है कि शिक्षकों को गतिविधि आधारित अध्यापन करना चाहिए। चाहे भौतिक कक्षा हो या फिर आनलाइन, सभी में विद्यार्थियों से अधिक से अधिक संवाद करें। ऐसा न करने पर विद्यार्थी की बुनियाद कमजोर हो जाएगी। वह पढ़ाई से भागेगा। वास्तव में 10 से 15 प्रतिशत विद्यार्थी ही आनलाइन पढ़ाई में सक्रिय होते हैं। यही वजह है कि उनमें सीखने की ललक कम हो रही है। वह मानसिक तनाव का भी शिकार हो रहे हैं।

अभिभावक भी मोबाइल का प्रयोग कम करें

मनोविज्ञानी जयमेंद्र कुमार राय का कहना है कि हाल के सर्वे में देखा गया है कि बच्चों की वास्तविक आयु और मानसिक आयु में बड़ा अंतर आया है। इससे निपटने के लिए जरूरी है कि बच्चों को कभी अकेला न छोड़ें। जब वह आनलाइन पढ़ाई करें तो उनके साथ कोई जरूर रहे। बच्चाें को मोबाइल की जगह पढ़ने के लिए लैपटाप दें। बड़ी स्क्रीन पर आसानी से विषय को समझा जा सकता है। अभिभावक भी कम से कम मोबाइल का प्रयोग करें। बच्चों को यह एहसास न होने दें कि मोबाइल के बिना काम नहीं होगा। बच्चों की कमजोरी को समझकर उनके साथ मिलकर समस्या का समाधान खोजें। टीचर से भी समय समय पर बात जरूर करें। दिनचर्या की समयसारिणी जरूर बनाएं। शारीरिक गतिविध भी बच्चों की दिनचर्या में अनिवार्य रूप से शामिल करें।

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