Chaitra Navratri 2021: मध्यरात्रि में महानिशा पूजन में हुए तांत्रिक अनुष्ठान, मां के कालरात्रि स्वरूप का पूजन Prayagraj News

Chaitra Navratri 2021 सोमवार की शाम 6.46 बजे से अष्टमी तिथि का संचरण होने से मध्यरात्रि में महानिशा पूजन के तहत साधक तंत्र विद्या जाग्रत करने के लिए रात 12.01 से सुबह 4.15 बजे तक तांत्रिक अनुष्ठान में लीन रहे।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 06:10 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 06:10 AM (IST)
Chaitra Navratri 2021: मध्यरात्रि में महानिशा पूजन में हुए तांत्रिक अनुष्ठान, मां के कालरात्रि स्वरूप का पूजन Prayagraj News
व्रतियों ने यम-नियम से मां के कालरात्रि स्वरूप का पूजन कर ध्यान लगाया।

प्रयागराज,जेएनएन। नवरात्र की सप्तमी तिथि पर सनातन धर्मावलंबी अनुष्ठान, ध्यान व दर्शन में लीन रहे। व्रतियों ने यम-नियम से मां के कालरात्रि स्वरूप का पूजन कर ध्यान लगाया। देवी मंदिरों में शतचंडी यज्ञ में आहुतियां डाली गईं।

सोमवार की शाम 6.46 बजे से अष्टमी तिथि का संचरण होने से मध्यरात्रि में महानिशा पूजन के तहत साधक तंत्र विद्या जाग्रत करने के लिए रात 12.01 से सुबह 4.15 बजे तक तांत्रिक अनुष्ठान में लीन रहे। लॉकडाउन के बाद अलोपशंकरी, ललिता देवी, कल्याणीदेवी, खेमा मायी, कालीबाड़ी सहित समस्त देवी मंदिरोंकेे पट खोल दिए गए। हाथों में पूजा की टोकरी, चेहरे पर मास्क लगाए भक्त  दरबार में पहुंचे और नारियल, चुनरी व प्रसाद अॢपत करके भक्त मइया से मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना किया।

अलोपशंकरी के दरबार में लगा मेला

मां अलोपशंकरी के दरबार में सोमवार को मेला लगा। दूर-दूर से आए भक्त मइया के पालने का दर्शन करके उसमें नारियल, चुनरी, पुष्प व माला अॢपत किया। वहीं नाक व कण छेदन, मुंडन संस्कार दिनभर चलता रहा।

कालरात्रि स्वरूप का श्रृंगार

मंत्रोच्चार के बीच मइया के कालरात्रि स्वरूप का रत्नजडि़त आभूषणों से श्रृंगार करके पूजन किया गया। शाम को मइया की महाआरती उतारी गई। मौजूद भक्तों ने मइया का गगनचुंबी जयकारा लगाकर आरती लिया।

कन्या का किया पूजन

नवरात्र की प्रतिपदा व अष्टमी का व्रत रखने वाले साधकों ने सोमवार को सप्तमी तिथि पर देवी स्वरूप कन्याओं का पूजन किया। नौ कन्याओं का पूजन करके उन्हें मिष्ठान, फल खिलाकर आशीर्वाद लिया। व्रती साधक अष्टमी तिथि मंगलवार को हवन करके व्रत खत्म करेंगे।

आज कन्या पूजन व हवन

नवरात्र के नौ दिन का व्रत रखने वाले कुछ साधक मंगलवार अष्टमी तिथि को कन्या का पूजन करेंगे। कन्या पूजन के बाद हवन भी कर सकते हैं। लेकिन, व्रत का पारण दशमी तिथि को होगा। वहीं, नवमी को कन्या पूजन व हवन करने वाले भी दशमी तिथि को व्रत का पारण करेंगे।

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