वकीलों और डाक्टरों को भी सीजीएसटी का नोटिस, वकीलों और डॉक्‍टरों में नाराजगी

आयकर विभाग ने ऐसे करदाताओं का विवरण सीजीएसटी विभाग को भेजा था। सीजीएसटी विभाग द्वारा सैकड़ों करदाताओं को उनकी आमदनी के आधार पर पहले पत्र भेजकर जानकारी मांगी गई थी। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के प्रचंड रूप लेने और कोरोना कफ्र्यू के कारण ज्यादातर करदाता जवाब नहीं दे पाए।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 07:30 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 07:30 AM (IST)
वकीलों और डाक्टरों को भी सीजीएसटी का नोटिस, वकीलों और डॉक्‍टरों में नाराजगी
टैक्स के दायरे से बाहर होने के बावजूद नोटिस मिलने से वकीलों और डाक्टरों में नाराजगी है।

प्रयागराज,जेएनएन। सर्विस टैक्स (सेवाकर) के प्रकरणों में केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर (सीजीएसटी) विभाग द्वारा कोरोना काल में सैकड़ों नोटिसें जारी की गई हैं। इनमें इंजीनियर, चार्टर्ड एकाउंटेंट, आॢकटेक्ट के अलावा अधिवक्ता और डाक्टर भी शामिल हैं। विधिक (लीगल) और स्वास्थ्य सेवा (हेल्थ र्सिवस) टैक्स के दायरे से बाहर होने के बावजूद नोटिस मिलने से वकीलों और डाक्टरों में नाराजगी है।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते ज्‍यादातर करदाता नहीं दे पाए जवाब

आयकर अधिनियम की धारा 194 (जे) के तहत किसी भी प्रोफेशनल्स की फीस पर टीडीएस लगता है। आयकर विभाग ने ऐसे करदाताओं का विवरण सीजीएसटी विभाग को भेजा था। सीजीएसटी विभाग द्वारा सैकड़ों करदाताओं को उनकी आमदनी के आधार पर पहले पत्र भेजकर जानकारी मांगी गई थी। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के प्रचंड रूप लेने और कोरोना कफ्र्यू के कारण ज्यादातर करदाता जवाब नहीं दे पाए। लिहाजा, विभाग द्वारा उन्हें नोटिस भेज दी गईं। इसमें कई वकील और डाक्टर भी हैं।

ज्‍वाइंट कमिश्‍नर बोले, आयकर से मिले डाटा के आधार पत्र भेजकर मांगी गई सूचना

विभागीय दावा है कि पिछले वित्तीय वर्ष तक के मामलों में नोटिस 15 अप्रैल तक भेज दी गई थी। ज्वाइंट कमिश्नर गौरव चंदेल का कहना है कि आयकर से जो डाटा मिलता है, उसके आधार पर दो-तीन बार पत्र भेजकर सूचना मांगी जाती है। करदाता के पैन नंबर में नहीं लिखा होता है कि वह वकील, डाक्टर हैं। सत्यापन करना विभाग का काम है। टैक्स बनने पर देना पड़ेगा, नहीं बनने पर कार्रवाई नहीं होती है।

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