CBI Investigation: महंत नरेंद्र गिरि की मौत से आखिरकार किसको हुआ सबसे बड़ा फायदा

कुछ खास शिष्यों से पूछताछ में यह बात सामने आई है कि महंत से कई लोगों ने उधार पैसा लिया था। रकम 20 लाख रुपये से एक से दो करोड़ रुपये तक बताई जाती है। इस आधार पर तफ्तीश शुरू हुई है कि किसने कब और कितनी रकम ली है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 08:32 AM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 07:07 PM (IST)
CBI Investigation: महंत नरेंद्र गिरि की मौत से आखिरकार किसको हुआ सबसे बड़ा फायदा
सीबीआइ को पता चला है कि नरेंद्र गिरि से कई लोगों ने उधार ले रखे थी मोटी रकम

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। महंत नरेंद्र गिरि की मौत से आखिरकार किसको सबसे बड़ा फायदा हुआ है, इसका पता भी सीबीआइ लगा रही है। महंत के कुछ खास शिष्यों से पूछताछ में यह बात सामने आई है कि नरेंद्र गिरि से कई लोगों ने उधार पैसा लिया था। रकम भी 20 लाख रुपये से लेकर एक से दो करोड़ रुपये तक बताई जाती है। इस आधार पर इसकी तफ्तीश शुरू हुई है कि किसने, कब और कितनी रकम ली है। उसका मकसद क्या था और कितना पैसा वापस किया गया। सूत्रों का कहना है कि पैसा लेने वाले रियल एस्टेट से जुड़े कुछ शख्स के अलावा कतिपय कारोबारी और सफेदपोश का भी सामने सामने आ रहा है। अब सीबीआइ इसकी वास्तविकता का पता लगा रही है। इस पर भी छानबीन होगी कि पैसा नकद दिया गया था फिर दूसरे माध्यम से। उधार में दी गई रकम नरेंद्र गिरि के पास कहां से कब और कितनी आई थी। उसके बारे में मठ से जुड़े किस-किस शख्स को पता था। अगर उनका भी महंत की मृत्यु से कोई कनेक्शन जुड़ता है तो वह भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।

मठ, मंदिर ले जाकर करेगी छानबीन

इस घटना के नामजद अभियुक्त आनंद गिरि, लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद और उसके बेटे संदीप तिवारी को सीबीआइ टीम मठ व मंदिर लेकर भी छानबीन कर सकती है। कहा जा रहा है कि बयान, साक्ष्य और सुराग के आधार पर टीम अपनी विवेचना को आगे बढ़ाएगी। साथ ही दूसरे विवादों से भी तार जोड़कर छानबीन की जाएगी। इन तीनों की महंत की मौत में भूमिका को सीबीआइ जांच के जरिए बाहर लाने की कोशिश में है। यह बात पहले ही जाहिर हो चुकी है कि आनंद गिरि की अपने गुरू नरेंद्र गिरि से खटास हो चुकी थी और पुजारी तथा उसका पुत्र भी नरेंद्र गिरि से अच्छे व्यवहार में नहीं थे। वे दोनों भी नरेंद्र गिरि के ही करीबी बने रहे और फोन पर उनसे बात भी करते रहे। पिता-पुत्र ने मंदिर में छोटी पगार के बावजूद मोटी दौलत बना रखी थी।  

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