सेवारत उच्च शिक्षित आश्रितों को लिपिक बनाने की मुहिम, बेसिक शिक्षा विभाग की देरी से नाराजगी

बेसिक शिक्षा विभाग की लेटलतीफी से उत्तर प्रदेशीय मृतक आश्रित शिक्षणेतर कर्मचारी संघ असहज है। प्राथमिक स्कूलों में सेवा कर रहे उच्च शिक्षित आश्रितों को लिपिक पद पर नियुक्ति दिलाने के लिए मुहिम शुरू हुई है। भाजपा सांसद व विधायकों से मिलकर संघ नेता मुख्यमंत्री को पत्र लिखवा रहे हैं

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 07:00 AM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 07:00 AM (IST)
सेवारत उच्च शिक्षित आश्रितों को लिपिक बनाने की मुहिम, बेसिक शिक्षा विभाग की देरी से नाराजगी
उप्र प्राथमिक मृतक आश्रित शिक्षणेतर कर्मचारी संघ पहुंचा जनप्रतिनिधियों के द्वार

प्रयागराज, जेएनएन। शासन व बेसिक शिक्षा विभाग की लेटलतीफी से उत्तर प्रदेशीय मृतक आश्रित शिक्षणेतर कर्मचारी संघ असहज है। प्राथमिक स्कूलों में सेवा कर रहे उच्च शिक्षित आश्रितों को लिपिक पद पर नियुक्ति दिलाने के लिए मुहिम शुरू हुई है। भाजपा सांसद व विधायकों से मिलकर संघ नेता मुख्यमंत्री को पत्र लिखवा रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि नए लोगों को लिपिक पद पर नियुक्ति देने के साथ ही पहले से सेवारत उच्च शिक्षितआश्रितों को भी लिपिक पद पर ज्वाइन कराया जाए।

विभागीय मंत्री के बयान से असहज, मानों नए नियुक्ति पाने वालों को ही लाभ

असल में, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डा. सतीश कुमार द्विवेदी ने मई में वीडियो संदेश में कहा था कि सेवाकाल में जिन शिक्षकों का निधन हुआ है उनके आश्रितों को योग्यता के अनुसार नियुक्ति मिलेगी। आश्रितों को लिपिक पद तैनाती दी जाएगी। प्रदेश में पहले से बड़ी संख्या में आश्रित सेवारत हैं। हालांकि उन्हें गलत नियम की वजह से चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्ति मिली थी। संघ के प्रदेश अध्यक्ष जुबेर अहमद व महामंत्री विनोद कुमार इस विसंगति को दुरुस्त कराने के लिए कई साल से संघर्ष कर रहे हैं। जुबेर का कहना है कि वे वर्षों से यही मांग कर रहे हैं। लेकिन, मंत्री के बयान से ऐसा लगता है कि लाभ सिर्फ नई नियुक्ति पाने वाले आश्रितों को ही मिलेगा। यह ठीक नहीं है। आश्रितों को नियुक्ति लिपिक पद पर दी जाए लेकिन, पहले से तैनात आश्रितों की अनदेखी न हो।

संघ ने प्रदेश के अधिकांश सांसद व विधायकों से संपर्क करके मांग पत्र दिया, इसमें अनुरोध किया गया कि वे मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग करें कि उच्च शिक्षित सेवारत आश्रितों को भी लिपिक पद पर समायोजित किया जाए। संघ का दावा है कि ऐसा करने में सरकार पर व्ययभार नहीं आएगा, साथ ही कार्मिक की नियमावली का अनुपालन भी हो जाएगा। सांसद व विधायकों ने आश्रितों के पक्ष में बड़ी संख्या में पत्र लिखा है। यह नौबत इसलिए आई, क्योंकि विभाग ने मंत्री के बयान के बाद भी अब तक शासनादेश जारी नहीं किया है।

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