इलाहाबाद के British Collector नहीं चाहते थे कि Annie Besant की सभा मेयोहाल में हो
नृपेंद्र सिंह बताते हैं कि सीवाई चिंतामणि ने जिला प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने पर अगले दिन लीडर अखबार के माध्यम से जनता को सूचित किया कि ऐनीबेसेंट इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्नातकों को पांच दिसबंर 1915 को सांय 4.45 बजे हार्डिंग थियेटर बहादुरगंज में संबोधित करेंगी।
प्रयागराज, जेएनएन। ब्रिटिश हुकूमत में प्रयागराज में जो भी नेता आता था वह सभा करने की इच्छा रखता था। इन नेताओं को बुलाने वाले लोग भी सभा कराने का प्रयास करते थे। उस समय भी सभा कराने की परमीशन अंग्रेज प्रशासन देता था। ऐनीबेसेंट की सभा को अंग्रेजों ने प्रयागराज में नहीं होने देने के लिए काफी अड़ंगा लगाया था। पर ऐनी बेसेंट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्नातकों को बहादुरगंज में संबोधित किया था।
मेयोहॉल में नहीं बोलने की दी थी अनुमति
इतिहासकार नृपेंद्र सिंह बताते हैं कि उस समय लीडर के मुख्य संपादक सर सीवाई चिंतामणि ने तत्कालीन जिलाधिकारी एसएम फ्रीमेंटल को सूचित किया कि ऐनीबेसेंट पांच दिसंबर 1915 रविवार को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आ रही हैं। हम चाहते हैं कि वे उस दिन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नए स्नातकों को संबोधित करें। इसके लिए आप मेयोहॉल देने की कृपा करें। जिससे उसके लिए निर्धारित शुल्क जमा किया जा सके और इस बात की सूचना ऐनीबेसेंट को भी दी जा सके। जिला प्रशासन नहीं चाहता था कि ऐनीबेसेंट नगर में प्रमुख स्थान पर युवकों को संबोधित करें। अगले दिन तीन दिसंबर 1915 को कलेक्टर फ्रीमेंटल ने सीवीआइ चिंतामणि को सूचित किया कि नियमानुसार हाल में सभा करने की अनुमति के लिए एक सप्ताह पूर्व समिति से आवेदन करना चाहिए। कमिश्नर भी शहर में नहीं हैं। ऐसे में उनके समक्ष अनुमति नहीं देने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है।
बहादुरगंज में हुई थी सभा
नृपेंद्र सिंह बताते हैं कि सीवाई चिंतामणि ने जिला प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने पर अगले दिन लीडर अखबार के माध्यम से जनता को सूचित किया कि ऐनीबेसेंट इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्नातकों को पांच दिसबंर 1915 को सांय 4.45 बजे हार्डिंग थियेटर बहादुरगंज में संबोधित करेंगी। अपीलकर्ताओं में नारायण प्रसाद अस्थाना, सर तेजबहादुर सप्रू, मुंशी ईश्वरशरण, सीवाई चिंतामणि, संजीव राय, डॉ. डीआर रंजीत सिंह और कृष्णाराय मेहता का नाम था। हार्डिंग थियेटर निर्धारित समय से एक घंटा पहले ही विद्यार्थियों से खचाखच भर गया। ऐनीबेसेंट ने कहा कि युवक किसी भी राष्ट्र के लिए बहुमूल्य होते हैं। छात्र जब शिक्षा पूरी करके वास्तविक जीवन में उतरते हैं तो उनका हर अच्छा बुरा काम राष्ट्र को प्रभावित करता है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपना चरित्र निर्माण करें तथा अपने आदर्शों को कार्यरूप में परिणित करें। उन्होंने व्याख्यान के अंत में एक कविता सुनाई और भारत की एकता और विकास की कामना की। सर तेजबहादुर सप्रू ने धन्यवाद ज्ञापित किया था।