Birth Centenary Ceremony: ​​​​​साहिर ने शायरी के कथन को लेकर नहीं किया समझौता, बोले प्रोफेसर फातमी

अध्यक्षता कर रहे उर्दू आलोचक प्रो. अली अहमद फातमी ने कहा कि साहिर लुधियानवी की शायरी में जनता की आवाज सुनाई देती है। वे फिल्मों के लिए गीत अपनी शर्तों पर लिखते थे उन्होंने शायरी के कथन को लेकर कभी समझौता नहीं किया।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 06:30 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 06:30 AM (IST)
Birth Centenary Ceremony: ​​​​​साहिर ने शायरी के कथन को लेकर नहीं किया समझौता, बोले प्रोफेसर फातमी
गुफ्तगू ने निराला सभागार में आयोजित किया साहिर लुधियानवी जन्म शताब्दी समारोह

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। साहिर लुधियानवी उम्दा रचनाकार थे, उन्होंने लेखनी के जरिए साहित्य व समाज को दिशा दी। परिस्थितियों से समझौता किए बिना सिर्फ सच्चाई के लिए कलम चलाई। यह बातें आइजी केपी सिंह ने साहित्यिक गुफ्तगू संस्था द्वारा बुधवार को निराला सभागार में आयोजित 'साहिर लुधियानवी जन्म शताब्दी समारोह मेें बतौर मुख्य अतिथि कहीं। कहा कि साहिर के लिखे फिल्मी गीत मैं बचपन से सुनते आया हूं। हर गीत प्रेरणादायी है।

शायरी में जनता की आवाज

अध्यक्षता कर रहे उर्दू आलोचक प्रो. अली अहमद फातमी ने कहा कि साहिर लुधियानवी की शायरी में जनता की आवाज सुनाई देती है। वे फिल्मों के लिए गीत अपनी शर्तों पर लिखते थे, उन्होंने शायरी के कथन को लेकर कभी समझौता नहीं किया। गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाजी ने कहा कि साहिर लुधियानवी अपने दौर के प्रमुख शायर थे। समालोचक रविनंदन सिंह ने कहा कि 1950 से 1970 के दौर में मजरूह, कैफी समेत कई बड़े शायर थे, उसी समय साहिर का शायरी की दुनिया में उदय हुआ था। 23 वर्ष की उम्र में उनका पहला काव्य संग्रह 'तल्खियां का प्रकाशन हुआ। यह काव्य संग्रह छपते ही वो देश के बड़े शायर के रूप में उभर कर सामने आ गए। संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया। द्वितीय सत्र में मुशायरा हुआ। इसमें नीना मोहन श्रीवास्तव, नेरश महरानी, शिवपूजन सिंह, सरिता श्रीवास्तव, संजय सक्सेना, शिवाजी यादव, अफसर जमाल, शिबली सना, संपदा मिश्रा, जया मोहन, मधुबाला, अजीत इलाहाबादी, श्रीराम तिवारी, अतिया नूर आदि ने कलाम पेश किए।

पुस्तकों का विमोचन

कार्यक्रम में कई पुस्तकों का विमोचन हुआ। इसमें इम्तियाज अहमद गाजी द्वारा संपादित पुस्तक 'देश के 21 गजलकार, अलका श्रीवास्तव की पुस्तक 'किसने इतने रंगÓ, जया मोहन की पुस्तक 'बिरजू की बंसी और गुुफ्तगू के नए अंक का विमोचन हुआ।

इन्हेंं मिला 'साहिर लुधियानवी सम्मान

गुफ्तगू संस्था ने देश-विदेश के 21 गजलकारों को साहिर लुधियानवी सम्मान से सम्मानित किया। इसमें नागरानी (अमेरिका), विजय लक्ष्मी विभा (प्रयागराज), अर्श अमृतसरी (दिल्ली), रामकृष्ण विनायक सहस्रबुद्धे (नागपुर), फरमूद इलाहाबादी (प्रयागराज), ओम प्रकाश यती (नोएडा), इकबाल आजर (देहरादून), मणि बेन द्विवेदी (वाराणसी), उस्मान उतरौली (बलरामपुर), रईस अहमद सिद्दीकी (बहराइच), डा. इम्तियाज समर (कुशीनगर), रामचंद्र राजा (बस्ती), डा. रामावतार मेघवाल (कोटा), डार. कमर आब्दी (प्रयागराज), विजय प्रताप सिंह (मैनपुरी), डा. राकेश तूफान (वाराणसी), डा. शैलेष गुप्त वीर (फतेहपुर), तामेश्वर शुक्ल 'तारक (सतना), डा. सादिक़ देवबंदी (सहारनपुर), अनिल मानव (कौशांबी) और एआर साहिल (अलीगढ़) शामिल रहे।

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