Betel Farming: प्रतापगढ़ की महिलाएं पान की खेती से लिख रहीं विकास की इबारत, हो रहीं आर्थिक समृद्ध

Betel Farming प्रियंका ने जय मां दुर्गा आजीविका स्वयं सहायता समूह का गठन करके दर्जन भर महिलाओं को जोड़ा। पान की खेती शुरू की। तीन से चार माह बाद से देशी पान की खेती पटरी पर दौड़ पड़ी। अब आ‍र्थिक रूप से समृद्ध हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 11:19 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 11:19 AM (IST)
Betel Farming: प्रतापगढ़ की महिलाएं पान की खेती से लिख रहीं विकास की इबारत, हो रहीं आर्थिक समृद्ध
प्रतापगढ़ की ग्रामीण महिलाएं पान की खेती करके आर्थिक रूप से समृद्ध हो रही हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ जिले में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर न केवल जागरूक हो रहीं हैं, बल्कि घर की आजीविका में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। साथ ही अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही हैं। एक ओर जहां समूह से जुड़ीं महिलाएं आंवले का उत्पाद, बेबी ट्राई साइकिल व जैविक खेती करके गरीबी को मात दे रहीं हैं। वहीं दूसरी ओर आसपुर देवसरा व मंगरौरा क्षेत्र की कई महिलाएं देशी पान की खेती करके विकास की इबारत लिख रहीं हैं।

ग्रामीण आजीविका मिशन योजना से लाभ

मंगरौरा की अंजू देवी व आसपुर देवसरा ब्लाक के सेतापुर गांव की प्रियंका चौरसिया गृहिणी हैं। वह स्नातक पास हैं। परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी। घर का खर्च व बच्चों की पढ़ाई को लेकर वह काफी चिंतित रहती थीं। गांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना के तहत स्वयं सहायता समूह से महिलाओं को जोड़ा जा रहा था। प्रियंका भी दो फरवरी 2020 में समूह से जुड़ीं।

देशी पान की खेती ने बदली महिलाओं की तकदीर

प्रियंका ने जय मां दुर्गा आजीविका स्वयं सहायता समूह का गठन करके दर्जन भर महिलाओं को जोड़ा। पैसा न होने से वह यह नहीं सोच पा रहीं थी कि कौन सा कारोबार शुरू किया जाए। हालांकि रिश्तेदार व अन्य से 50 हजार रुपये कर्ज लेकर पान की खेती शुरू की। तीन से चार माह बाद से देशी पान की खेती पटरी पर दौड़ पड़ी। अब उनकी मेहनत से उपजे पान की अमेठी, सुलतानपुर, वाराणसी, जौनपुर के अलावा पास की बाजार ढकवा बाजार, आसपुर देवसरा, पट्टी, मंगरौरा, पिरथीगंज सहित दर्जन भर बाजारों में जमकर बिक्री हो रही है।

प्रत्‍येक माह 10 हजार रुपये की हो रही आमदनी

पान की खेती से अच्छी खासी आय होने से अब गांव की सरिता देवी, रेखा, रेनू, आरती, दुर्गावती, आशा आदि भी खेती करने पर जोर दे रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के रतन कुमार मिश्रा, सुमन पांडेय, अख्तर मसूद, सुनीता सरकार व राम प्रकाश पांडेय ने भी महिलाओं को प्रशिक्षित किया था। यह महिलाएं 150 रुपये में 100 से 150 पान बेच रहीं हैं। माह भर में प्रत्येक महिलाओं की आठ से 10 हजार रुपये आमदनी होती है। बारिश होने से पान की खेती पर कुछ असर पड़ा है।

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