Benefits Of Lemon and Orange Peel: दिल के मर्ज के साथ मोटापे को दूर करेगा नींबू और संतरे का छिलका
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गवर्नमेंट प्रेस के पास संतरा खरीदता ग्राहक। जागरण
गुरुदीप त्रिपाठी, प्रयागराज। नींबू और संतरे का रस (जूस) निकालकर जिस छिलके को आप कूड़ेदान में फेंक देते हैं, बड़ा गुणकारी है। यह दिल के मर्ज के लिए कारगर दवा है। यह बात इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के जैव रसायन विज्ञान विभाग में प्रोफेसर एसआइ रिजवी के एक शोध में सामने आई है। प्रोफेसर रिजवी का कहना है कि इन दिनों फास्ट फूड का चलन तेजी से बढ़ा है। यह भले ही आपको स्वादिष्ट लगता होगा, लेकिन इससे लोगों में कोलेस्ट्राल की समस्या बढ़ी है।
कोलेस्ट्राल बढ़ने से दिल की समस्याएं बढ़ जाती हैं। दरअसल, होता यह है कि खून की नली पतली हो जाती है और दिल के अंदर खून का प्रवाह सही ढंग से नहीं हो पाता। ऐसे में हार्टअटैक और हार्ट फेल्योर की आशंका बढ़ जाती है, जो जानलेवा हो सकता है। इसके अलावा भी फास्ट फूड का अधिक सेवन कई बीमारियों की वजह बनता है।
इस तरह किया अध्ययन
दिल की बीमारी को रोकने के लिए प्रो. रिजवी ने दो शोध छात्रों रोशन कुमार और फरहान अख्तर के साथ मिलकर 15 चूहों पर डेढ़ साल तक शोध कार्य किया। पहले कुछ चूहों को उच्च वसायुक्त खाद्य पदार्थ दिया गया। इसमें कोलेस्ट्राल, नारियल का तेल और कुलिक एसिड दिया गया, जिससे वे काफी मोटे हो गए। चूहों का भार 30 फीसद और ग्लूकोज लेवल 40 फीसद बढ़ गया। साथ ही इंसुलिन लेवल 1.2 से 9.6 हो गया। मोटापा बढ़ने से उनके दिल में खून का प्रवाह थम गया।
दिल की मांसपेशियां कमजोर हो गईं और वह रक्त को प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाईं। इस कारण दिल तक ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्व नहीं पहुंच पा रहे थे। इसके बाद उन्होंने चूहों को नींबू और संतरे में पाया जाने वाला हेस्पेरेडिन रोजाना एक एमएल लगातार 30 दिन पिलाया। इससे चूहों में उच्च वसायुक्त खाद्य पदार्थ का असर कम हो गया। यह केमिकल नींबू और संतरे के छिलके में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि उनका यह शोध जल्द ही ऑस्ट्रेलिया के जर्नल क्लीनिकल एक्सपेरिमेंटल फॉर्माकोलॉजी एंड फिजियोलॉजी में प्रकाशित होगा।
2020 में बढ़ जाएगी दिल के मरीजों की तादात
एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में 2020 तक दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा होगी। यह दावा पिछले दिनों कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीएसआइ) की ओर से कराए गए सर्वेक्षण में किया गया है। ऐसे में इविवि के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन इस बीमारी से निपटने में मददगार साबित हो सकता है। इससे इस तरह की दवाएं तैयार की जा सकेंगी, जो दिल के मरीजों के उपचार के लिए उपयोगी साबित होंगी।
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