Water conservation: पशु पक्षियों और लोगों के जीवन का आधार है बंडा तारा, तालाब में पानी होने से सबको मिल रही राहत
लगभग पांच बीघे में फैला यह तालाब साल भर बरसात के पानी से भरा रहता है। इसमें ना केवल पशु पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं बल्कि क्षेत्रीय लोग इस तालाब को अपने जीविकोपार्जन के साधन के रूप में भी उपयोग करते हैं। तालाब के आसपास कुम्हारों की बस्तियां हैं ।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज हो या प्रतापगढ़, गर्मियों में जब नदी व तालाब सूख जाते हैं और जमीन के नीचे का जलस्तर गिर जाता है। चारों तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा रहता है। तब पशु पक्षी पानी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर रहते हैं। ऐसी हालत में तालाब बेहद काम आते हैं। इसी तरह सदर विकास खंड के पूरे अंती ग्राम पंचायत में स्थित बंडा सकटडीह का तालाब पशु पक्षियों के साथ स्थानीय लोगों के लिए जीवन का आधार बनकर खड़ा रहता है।
पेयजल से लेकर विवाह कार्यक्रम तक तालाब आता है काम
लगभग पांच बीघे में फैला यह तालाब साल भर बरसात के पानी से भरा रहता है। इसमें ना केवल पशु पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं, बल्कि क्षेत्रीय लोग इस तालाब को अपने जीविकोपार्जन के साधन के रूप में भी उपयोग करते हैं। तालाब के आसपास कुम्हार लोगों की बस्तियां हैं । वह इसी तालाब के मिट्टी से जहां बर्तन बनाते हैं, वही इस काम में इसका पानी भी उपयोग करते हैं। गांव के लोग शादी विवाह में तालाब की पूजा करके ही दूल्हा दुल्हन को विदा करते हैं। छोटे बच्चों के लिए जहां यह स्विमिंग पूल का काम करता है। इलाके के जेठू प्रजापति, पंकज विश्वकर्मा, मनोज कुमार शुक्ला, मोहन शुक्ला और राम सजीवन वर्मा आदि लोगों की मानें तो नदी तालाब और पोखरे सूख रहे हैं और लोग इसके रखरखाव के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं । ऐसे में क्षेत्र में बंडा तारा के नाम से मशहूर यह तालाब लोगों के जीवन का आधार है । यह बेसहारा जानवरों और पक्षियों के लिए संजीवनी के समान है। उन्होंने प्रकृति के इन धरोहरों की उचित देखभाल की आवश्यकता पर बल देने की बात कही। उनका कहना है कि तालाब और पोखरो में बरसात का पानी भरने से ना केवल जमीन का जलस्तर सही रहता है बल्कि आवश्यकता पड़ने पर लोगों के काम भी आता है