इविवि में हिंदी पीएचडी प्रवेश पर लगी रोक, आरोपों की जांच के लिए कमेटी गठित

शैक्षणिक सत्र 2019 में हिंदी विषय से पीएचडी के लिए कुल 90 सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन मांगे गए थे। प्रवेश परीक्षा के बाद कुल 78 अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया गया था। बची 12 सीटों पर प्रवेश नहीं दिया गया। 19 सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन मांगे गए।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 07:15 AM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 07:15 AM (IST)
इविवि में हिंदी पीएचडी प्रवेश पर लगी रोक, आरोपों की जांच के लिए कमेटी गठित
शैक्षणिक सत्र 2020 में हिंदी विषय के पीएचडी प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।

प्रयागराज, गुरुदीप त्रिपाठी। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में शैक्षणिक सत्र 2020 में हिंदी विषय के पीएचडी प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। अब सत्र 2019 के विवाद का निपटारा होने के बाद ही नए सत्र में पीएचडी में दाखिले की प्रक्रिया को मंजूरी दी जाएगी। इस विवाद को निपटाने के लिए कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी के निर्देश पर रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ल ने पांच सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। सोमवार को कमेटी की पहली बैठक भी हुई। इसमें पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर चंदा देवी की तरफ से अब तक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। 

दरअसल, शैक्षणिक सत्र 2019 में हिंदी विषय से पीएचडी के लिए कुल 90 सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन मांगे गए थे। प्रवेश परीक्षा के बाद कुल 78 अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया गया था। बची 12 सीटों पर प्रवेश नहीं दिया गया। इसके एवज में बाद में दूसरे चरण के तहत 19 सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन मांगे गए। इस आवेदन में कैटेगरी का निर्धारण नहीं किया गया था। साथ ही यह भी तय नहीं किया गया था कि 12 के एवज में 19 सीटों पर आवेदन कैसे मांगे गए ? जब 19 सीटों की प्रवेश परीक्षा के बाद परिणाम घोषित किया गया तो सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को वंचित कर सिर्फ ओबीसी और एससी वर्ग के अभ्यर्थियों का परिणाम जारी किया गया। अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई कि यदि यह बैकलॉग की सीटें थीं तो विज्ञापन में इसका उल्लेख क्यों नहीं किया गया। ऐसे में यह प्रकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया। जिस पर अभी तक हाईकोर्ट का कोई निर्णय नहीं आया है। 

अभी सत्र 2019 का विवाद खत्म नहीं हुआ कि सत्र 2020 में पीएचडी प्रवेश के लिए कुल 41 सीटों पर आवेदन मांग लिए गए। इसमें 18 इविवि और 23 सीटें कालेजों में हैं। इस पर तमाम सवाल उठने लगे। अब नए सत्र में प्रवेश की प्रक्रिया कार्यवाहक कुलपति की अनुमति के बाद और सत्र 2019 के विवाद का निपटारा होने पर ही शुरू होगी। इसकी सूचना प्रवेश प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. प्रशांत अग्रवाल की तरफ से दी जाएगी।

पांच सदस्यीय कमेटी करेगी विवाद का निपटारा

सत्र 2019 में पीएचडी प्रवेश में विवाद के निपटारे के लिए कला संकाय के डीन और लीगल सेल के इंचार्ज की सिफारिश पर कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरआर तिवारी ने पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी का चेयरमैन कला संकाय के डीन प्रो. हेरंब चतुर्वेदी को बनाया गया है। इसके अलावा कमेटी में बतौर सदस्य चीफ प्रॉक्टर प्रो. आरके उपाध्याय, ङ्क्षहदी विभाग के प्रो. एसपी शुक्ल, एससी कोटे के नामित सदस्य हिंदी विभाग के प्रो. भूरेलाल, ओबीसी कोटे की नामित सदस्य हिंदी विभाग की प्रो. लालसा यादव शामिल हैं।

कमेटी की पहली बैठक का नतीजा सिफर

कमेटी की पहली बैठक सोमवार को हुई। सूत्रों की मानें तो बैठक में पहले चरण के तहत हुए प्रवेश के दस्तावेज की मांग की गई। हालांकि, पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. चंदा देवी की तरफ से कोई दस्तावेज नहीं उपलब्ध कराए जाने की स्थिति में कमेटी कोई भी निर्णय नहीं ले सकी। ऐसे में अब अगली बैठक में दस्तावेज मिलने पर आगे की कार्रवाई हो सकेगी। 

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