चुप ताज़िया के साथ खत्म हुआ अय्यामे अज़ा, प्रयागराज में मजलिस में जुटे अकीदतमंद

माहे मोहर्रम के चाँद के साथ शुरु हुई दो माह और आठ दिनों की अज़ादारी इमाम हसन अस्करी की शहादत पर ग़म मनाने के साथ हुई खत्म इमामबाड़ा नक़ी बेग रानीमण्डी के अन्दर ही ज़ैग़म अब्बास ने मर्सिया से मजलिस का आग़ाज़ किया।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 07:46 PM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 07:46 PM (IST)
चुप ताज़िया के साथ खत्म हुआ अय्यामे अज़ा, प्रयागराज में मजलिस में जुटे अकीदतमंद
इमामबाड़ा नक़ी बेग रानीमण्डी के अन्दर ही ज़ैग़म अब्बास ने मर्सिया से मजलिस का आग़ाज़ किया।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। करबला के शहीदों की याद में लगातार 68 दिनों तक मनाए जाने वाले ग़म का सिलसिला चुप ताज़िया निकलने के साथ माहे रबिउल अव्वल की आठवीं को खत्म हो गया। रानीमण्डी चकय्या नीम स्थित इमामबारगाह मिर्ज़ा नक़ी बेग मे बशीर हुसैन की क़यादत में दस दिवसीय अशरा ए चुप ताज़िया के अंतिम दिन चुप ताज़िया जुलूस नहीं निकाला गया। इमामबाड़ा नक़ी बेग रानीमण्डी के अन्दर ही ज़ैग़म अब्बास ने मर्सिया से मजलिस का आग़ाज़ किया। ज़ाकिरे अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी ने करबला के बहत्तर शहीदों की राहे हक़ में दी गई क़ुरबानी का ज़िक्र किया।

शहादते इमाम हसन अस्करी पर मसायबी बयान करते हुए अय्यामे अज़ा को अलविदा कहा। ज़ुलजनाह के आगे नज़र अब्बास साहब ने सवारी पढ़ी। शबीहे ताबूत, चुप ताज़िया, अलम और ज़ुलजनाह की शबीह की ज़ियारत इमामबाड़े के अन्दर ही कराई गई। अन्जुमन हैदरया के नौहाख्वान हसन रिज़वी, अब्बन भाई व साथियों ने क़दीमी नौहा पढ़ कर माहे ग़म माहे अज़ा को अलवेदा कहा। जुलूस के आयोजक बब्बू भाई की अगुवाई में इमामबाड़ा के आस पास सैनिटाइज कराने के बाद मास्क लगाने के बाद ही अक़ीदतमन्दों को इमामबाड़े में प्रवेश कराया गया। सुबह नौ बजे से दिन भर ज़ियारत करने वालों का तांता लगा रहा। इस मौक़े पर समर, हैदर, बब्बू, ज़हीर आदि मौजूद रहे। वहीं दरियाबाद के बंगले से तुराब हैदर की निगरानी में निकलने वाला चुप ताज़िया और अमारी का जुलूस इस वर्ष नहीं निकालते हुए इमामबाड़ा परिसर में दिन में 11 बजे मजलिस हुई। एक एक मातमी अन्जुमनों से मात्र एक नौहा पढ़ने के बाद अपनी अन्जुमन के परचम के साथ बिना नौहा और मातम के सादगी के साथ अरब अली खाँ के इमामबाड़े में प्रवेश कराया गया जहां हर अन्जुमनों को आधा आधा घन्टा नौहा और अलवेदा पढ़ने की इजाज़त दी गई।उम्मुल बनीन सोसाईटी के महासचिव व अन्जुमन के प्रवक्ता सैयद मोहम्मद अस्करी के मुताबिक़ अन्जुमन शब्बीरिया, अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया, अन्जुमन अब्बासिया, अन्जुमन हुसैनिया क़दीम, अन्जुमन हाशिमया के नौहा ख्वानों ने अय्यामे अज़ा के आखरी दिन जनाबे ज़हरा को पुरसा पेश करते हुए ग़मगीन नौहा पढ़ा। संचालक अनीस रिज़वी द्वारा मातमी दस्तों को क्रमवार आमंत्रित कर नौहा पढ़ने और मातम करने के बाद भीड़ न लगाते हुए अपने अपने घर जाने की ताकीद की जाती रही। अन्जुमन गुन्चा ए क़ासिमया के नौहाख्वानों ने मरहूम शायर काविश इलाहाबादी का लिखा विश्वविख्यात नौहा पढ़ा..

सरे सरवर से यह आई सदा ज़ैनब मेरी ज़ैनब

मैं तुमसे रुख्सत होता हूँ सलामे आखरी ले लो

तुम्हारा है निगेहबाँ अब खुदा

ज़ैनब मेरी ज़ैनब

पढ़ कर अश्कों का नज़राना पेश किया। अय्यामे अज़ा के आखरी दिन होने के कारण दिन भर बड़ी संख्या में हुसैन ए मज़लूम के चाहने वालों का तांता लगा रहा। अलम ताज़िया, ताबूत, ज़ुलजनाह और अमारी पर फूल माला चढ़ाकर लोगों ने मन्नते व मुरादें मांगी। देर रात तबर्रुक़ात पर चढ़ाए गए फूलों को ग़मज़दा माहौल में सुपुर्देखाक किया गया। मौलाना जव्वाद हैदर, मौलाना रज़ी हैदर, मौलाना मोहम्मद ताहिर, मंज़र कर्रार, गौहर काज़मी, रिज़वान जव्वादी, तुराब हैदर, सैयद मोहम्मद अस्करी, तय्याबैन आब्दी, रौनक़ सफीपुरी, ताहिर मलिक, नजीब इलाहाबादी, शाहिद अब्बास रिज़वी (प्रधान), मुमताज़ हुसैन, मिर्ज़ा काज़िम अली, डॉ क़मर दरियाबादी, ताशू अल्वी, शाह बहादर, सफदर अब्बास डेज़ी, शबी हसन शाहरुख, मशहद अली खाँ, मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन, आसिफ रिज़वी, ज़ामिन हसन, शजीह अब्बास, ज़ैग़म अब्बास, महमूद तयबापूरी, अब्बास ज़ैदी,अर्शी, ज़ुलकर नैन आब्दी, शादाब ज़मन, अस्करी अब्बास, शबीह अब्बास, अखलाक रज़ा, ज़हीर अब्बास, यासिर ज़ैदी, ऐजाज़ नक़वी, कामरान रिज़वी, अकबर रिज़वी, अली रज़ा रिज़वी, शबीह रिज़वी, मोहम्मद असद, अज़ीम हैदर, औन ज़ैदी, जौन ज़ैदी, अमन जायसी, आसिफ चायली, माहे आलम, बाक़र मेंहदी, ज़रग़ाम हैदर, फरदीन, तक़ी आब्दी, यशब आब्दी, ताबिश सरदार आदि समेत बड़ी संख्या में अक़ीदतमन्दों ने शिरकत की।

*पानी पीओ तो याद करो प्यास हुसैन की- जगहा जगहा लगी सबील*

इमाम हुसैन के तीन दिन का भूखा प्यासा शहीद होने की घटना को याद करते हुए विभिन्न तन्ज़ीमो व स्वयं सेवी संस्थाओं की ओर से दो दर्जन से अधिक स्टाल लगा कर लोगों को खाने के पैकेट ,चाय बिस्किट , पानी की बोतलें व दूध का शरबत तक़सीम किया गया।अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया की ओर से इमामबाड़ा प्रांगड़ मे हज़ारों की संख्या मे बन्द बोतल पानी वित्रित कर हुसैन ए मज़लूम सहित अन्य शहीदों की प्यास की शिद्दत मे हक़ और बातिल की जंग मे शहीद होने वाले करबला के जॉनिसारों की प्यास को याद किया गया।

*प्रशासन के सहयोग के प्रति जताया आभार*

अय्यामे अज़ा के दो माह और आठ दिनों तक कोविड १९ के बाद भी घरों व इमामबाड़ो के अन्दर सभी मातमी कार्यक्रम को सकुशल सम्पन्न कराने में ज़िला प्रशासन ने जिस प्रकार सहयोग किया उसके लिए शहर के ओलमाओं और मातमी अन्जुमनों ने प्रशासन के सहयोगात्मक रवय्ये की सराहना करते हुए समबन्धित थाना अध्यक्षो सहित आला अधिकारीयों के सहयोग के लिए आभार जताया

ईद ए ज़हरा पर कल खुशनुमा माहौल में सजेगी महफिल*

६८ दिवसीय अय्यामे अज़ा के खत्म होने पर शनिवार से खुशीयाँ मनाने का सिलसिला फिर से शुरु हो जाएगा।दो माह और आठ दिनो से शादी विवाह और जश्न मनाने का दौर शुरु हो जाएगा। मुहर्रम की चाँद रात पर शिया समुदाय की औरतों द्वारा तोड़ी गई चूड़ियाँ फिर से कलाई पर सजेंगी।काले लिबास त्याग कर लाल पीले गुलाबी रंग के लिबास फिर तन को ज़ेबा देंगे।।अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के प्रवक्ता सै०मो०अस्करी के मुताबिक ९ रबिउल अव्वल शनिवार को विभिन्न मातमी अन्जुमनों की ओर से ईद ए ज़हरा की महफिल सजेगी।घरों में सेंवई के साथ गुलगुले और पकौड़ीयाँ भी तली जाएँगी।अन्जुमन ग़ुन्चा ए कासिमया की ओर से बख्शी बाज़ार स्थित खुरशैद हुसैन साहब के अहाते में शाम ७:३० पर जश्ने ईद ए ज़हरा की महफिल सजेगी।ओलमाओं की तक़रीर के साथ शायराना महफिल में शहर के मानिन्द शायर भाग लेंगे।वहीं रानीमण्डी,करैली,दरियाबाद,चक ज़ीरो रोड मे विभिन्न अन्जुमनों व दस्तों की ओर से भी महफिल का आयोजन होगा।

सै०मो०अस्करी

प्रवक्ता अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया बख्शी बाज़ार

इलाहाबाद

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