Ayodhya Ram Mandir Bhumi Pujan : राम मंदिर के लिए गए थे जेल, भूमि पूजन देख हुए भावुक
अब इस बात की और खुशी मिल रही है कि हमारा जेल जाना आज सार्थक साबित हुआ अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर जल्द ही बनकर अब तैयार हो जाएगा।
प्रयागराज, जेएनएन। जिस राम मंदिर निर्माण की परिकल्पना को साकार करने के लिए पटटी क्षेत्र के लोग जेल गए। उस मंदिर के निर्माण के लिए बुधवार को भूमि पूजन का सजीव चित्रण देखकर पडोसी जनपद प्रतापगढ के वे लोग भावुक हो उठे। उनकी आंखें सजल हो उठीं।
वर्ष 1991 में जब प्रदेश में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। उस समय मंदिर आंदोलन काफी जोर-शोर से चल रहा था। नवंबर माह में कड़ाके की ठंड में कार सेवकों का हुजूम अयोध्या जाने के लिए अपनी तैयारी कर रहा था। इसी दौरान नगर निवासी कुछ लोग कारसेवकों की मदद व उन्हें भोजन के साथ ही आर्थिक सहयोग प्रदान करने के लिए आगे आए थे। इसमें अतुल खंडेलवाल, राम प्रकाश जायसवाल, स्व. राम समुझ मौर्य के साथ नगर के निवासी सुभाष खंडेलवाल, डा. शिवप्रताप बरनवाल, लालचंद मोदनवाल, स्व. अशोक कुमार मोदनवाल, स्व. बलदेव प्रसाद चौरसिया, स्व. मोतीलाल जायसवाल उस समय सहयोगी के रूप में लगे रहे।
15 दिनों तक जेल में रहना पडा
इसी दौरान तत्कालीन कोतवाल त्रिलोकी सिंह फोर्स के साथ पहुंचकर कपड़ा व्यवसाई अतुल खंडेलवाल, नगर के चौक निवासी रामप्रकाश जायसवाल व मौर्य नगर निवासी रामसमुझ मौर्य को नवंबर माह के 30 तारीख की रात में नौ बजे कोतवाली ले गए। वहां से दूसरे दिन इन्हें जिला जेल भेज दिया गया। कारसेवकों की मदद का आरोप लगाते हुए जेल भेज दिया गया। इसमें 15 दिनों तक जेल में रहकर जमानत लेकर वापस आए और छह महीने तक मुकदमा भी लड़ा। नगर निवासी कपड़ा व्यापारी अतुल कुमार खंडेलवाल के साथ ही जयप्रकाश जायसवाल व नगर के चौक रामप्रकाश जयसवाल पर प्रशासन द्वारा कार्य सेवकों की मदद का आरोप लगाते हुए तत्कालीन पट्टी कोतवाल त्रिलोकी सिंह ने रात में गिरफ्तार कर लिया। रात भर थाने में रखा गया और सुबह तत्कालीन एसडीएम राजाराम सिंह के यहां पेश करके इन्हें जिला जेल भेज दिया गया।
उस समय जेल जाना आज सार्थक हो गया
उस समय की यादों को ताजा करते हुए अतुल कुमार खंडेलवाल ने बताया कि जिस समय हम लोगों को पकड़कर कोतवाली ले जाया गया था। उस समय वहां पर 30 से 35 लोगों को पकड़ कर रखा गया था। सभी को धीरे-धीरे पूछताछ कर छोड़ दिया गया, लेकिन हम तीन लोगों को नहीं छोड़ा गया, और दूसरे दिन पट्टी में एसडीएम के सामने पेश करके जेल भेज दिया गया। वहां पर 15 दिन जिला जेल में काटनी पड़ी। उसके बाद जमानत पर रिहा होकर घर आए। घर आने के बाद छह माह तक हम लोग मुकदमा भी लड़े। हमें इस बात का कभी भी मलाल नहीं रहा कि हम लोग जेल गए थे। बल्कि हम लोगों को यह खुशी थी कि हम लोग भगवान राम के काज के कारण जेल गए। अब इस बात की और खुशी मिल रही है कि हमारा जेल जाना आज सार्थक साबित हुआ, अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर जल्द ही बनकर अब तैयार हो जाएगा।
पंफलेट छापने के आरोप में पकड़े गए थे कृष्ण कुमार
नगर निवासी कृष्ण कुमार शुक्ल को भी कारसेवकों में प्रचार के लिए पंफलेट छापने के आरोप में कोतवाली पुलिस द्वारा पकड़कर जेल भेजा गया था, लेकिन जिला मुख्यालय पर इन्हें निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया था। बुधवार को मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरु होने का सजीव चित्रण देख ये भावुक हो उठे। नगर के रायपुर रोड निवासी कृष्ण कुमार शुक्ला प्रिंटिंग प्रेस चलाते हैं। वर्ष 1991 में कारसेवा आंदोलन के दौरान पट्टी कोतवाल त्रिलोकी सिंह द्वारा इन पर आरोप था कि यह राम मंदिर के समर्थन से संबंधित पंफलेट अपने प्रिंटिंग प्रेस पर छाप कर माहौल खराब कर रहे हैं। ऐसे में इन्हें गिरफ्तार कर रात भर पट्टी थाने में रखा गया और सुबह इन्हें जिला मुख्यालय के कोतवाली भेज दिया गया। जहां से इन्हें सदर एसडीएम के सामने पेश किया गया, हालांकि उन्हें निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। उस समय की बात को याद कर के कृष्ण कुमार बताते हैं कि भगवान राम के काम के लिए हम लोग उस समय दिन रात लगे रहते थे। कारसेवकों को किधर से जाना है, उन्हें कहां रोकना है, उनको खाना कहां देना है। इन सब की तैयारी हम लोगों को गुपचुप तरीके से पहले से ही हो जाती थी। आज मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरु होने पर हमें अपार खुशी मिल रही है।