सात माह चली अतुल्‍य गंगा परिक्रमा यात्रा, कहीं सूखी दिखी गंगा तो कहीं काला पड़ चुका था अमृतजल

Atulya Ganga Parikrama Yatra करीब सात महीने की यात्रा का दो महीने पहले ही समापन हो गया है। याञा के समापन पर समु्द्रकूप पहुंचे पदयात्र‍ियों ने अपना अनुभव साझा किया। उन्‍हाेंने बताया कि उत्‍तर भारत में टेढे-मेढे रास्‍ते से गुजरी गंगा के साथ चलने का अलग ही अनुभव मिला।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 02:01 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 02:50 PM (IST)
सात माह चली अतुल्‍य गंगा परिक्रमा यात्रा, कहीं सूखी दिखी गंगा तो कहीं काला पड़ चुका था अमृतजल
अतुल्‍य गंगा परिक्रमा यात्रा का समापन प्रयागराज के झूंसी स्थित समुद्रकूप में पूजन-अर्चन के बाद हुआ।

प्रयागराज, जेएनन। मां गंगा की न‍िर्मलता और अव‍िरलता के ल‍िए 16 दिसंबर 2020 को अतुल्‍य गंगा संस्‍था की ओर से शुरू की गई गंगा की मुंडमाल पर‍िक्रमा का बुधवार को समापन हो गया है। इसकी शुरुआत प्रयागराज में झूंसी स्थित समु्द्रकूप से हुई थी और आज इसका समापन हवन-पूजन के साथ किया गया।

पदयात्रियों ने साझा किए अपने अनुभव

करीब सात महीने तक चलने वाली यह यात्रा का दो महीने पहले ही समापन हो गया है। यात्रा के समापन पर समु्द्रकूप पहुंचे पदयात्र‍ियों ने अपना अनुभव साझा किया। उन्‍हाेंने बताया कि उत्‍तर भारत में टेढे-मेढे रास्‍ते से गुजरी गंगा के साथ चलने का अलग ही अनुभव मिला। इस दौरान कहीं सूखी द‍िखी गंगा तो कहीं अमृतजल काला द‍िखा।

मुंडमाल गंगा परिक्रमा यात्रा 16 दिसंबर को शुरू हुई थी

मुंडमाल पर‍िक्रमा शुरू होने से पहले 15 द‍िसंबर को पदया‍त्रियों ने संगम स्‍नान क‍िया था। उसके बाद 16 द‍िसंबर की सुबह सभी पदयात्री झूंसी स्थित समुद्रकूप पहुंची और वहां से गंगा की न‍िर्मलता का संकल्‍प लेेने के साथ इसी शुरुआत की। र‍िटायर कर्नल आरपी पांडेय, हीरेन भाई पटेल, फोटो जर्नल‍िस्‍ट रोहित उमराव, रो‍ह‍ित जाट, शगुन त्‍यागी और इंदु पांडेय ने पदयाञा शुरु की। यह पैदल चले, जबकि सडक मार्ग से अतुल्‍य गंगा संस्‍था के संस्‍थापक गोपाल शर्मा, र‍िटायर लेफ‍ि्नेंट कर्नल हेम लोहमी, र‍िटायर कर्नल मनोज केश्‍वर सड़क मार्ग से साथ चले।

गंगा सागर तक गई थी यात्रा

यहां से यह यात्रा गंगा के बाई तरफ से शुरु होकर गंगा सागर पहुंची और वहां से दूसरी पटरी पकडकर प्रयागराज पहुंची। यहां से आगे याञा गंगोत्री के ल‍िए गई। इस यात्रा को लौटकर अगस्‍त में प्रयागराज आना था लेक‍िन यह दो महीने ही पदयात्री आ गए। यात्रा को शुरु करने वाले तीन पदयात्री र‍िटायर कर्नल आरपी पांडेय, हीरेन भाई पटेल और रो‍ह‍ित उमराव विवाद के चलते समापन अवसर पर नहीं आए।

190 द‍िन में उनकी टीम ने 5550 किलोमीटर की पैदल यात्रा

बुधवार को यात्रा के समापन पर पदात्रियों ने समुद्रकूप परिसर में हवन-पूजन किया। इस मौके पर यात्रा के संयोजक गोपाल शर्मा ने बताया कि उसकी टीम में करीब 30 लोग शामिल हैं। उन्‍होंने बताया क‍ि 190 द‍िन में उनकी टीम ने 5550 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। इस दौरान गंगा को प्रदूषित देख मन में पीड़ा हुई। रास्‍ते में लोगों का विशेष सहयोग म‍िला। जगह-जगह लोगों ने यात्रा का जोरदार स्‍वागत किया। ग्रामीणों के सहयोग से इस पूरी यात्रा में गंगा सफाई भी की और जगह-जगह पीपल, बरगद, पाकड, नीम आदि के पौधे रोपे।

यात्रा में टीम सदस्‍यों का अदम्‍य साहस

उन्‍होंने बताया कि टीम के अदम्य साहस से यह यात्रा पूरी हो सकी। यात्रा में शामिल रोहित जाट ने बताया कि इस यात्रा में गंगा की जो दुर्दशा देखी वह बयान करने लायक नहीं है। कहीं-कहीं अविरल गंगा सूख सी चली, कहीं-कहीं अमृत जैसा जल बिल्कुल काले पानी जैसा हो गया। हमने अपने गंदे पानी को इस अविरल गंगा में ला छोड़ा। जिसके चलते यह अमृत रूपी जल प्रदूषित हो गया।

गंगा किनारे बसी आबादी को जागरूक करना होगा : शगुन

इसी तरह इस टीम में शामिल पदयात्री शगुन उनका कहना था गंगा किनारे जो भी आबादी बसी है, उसे जागरूक करने की जरूरत है। अगर उनमें जागरूकता आ गई तो हम फिर से गंगा को अविरल देख सकते हैं। इसके लिए सरकार के साथ-साथ जनमानस को भी आगे आना होगा। इसे प्रदूषित होने से रोकना होगा। नालों को भी रोकना होगा, फैक्ट्रियों के गंदे पानी को इससे रोकना होगा। इस तरह तमाम वह तरीके अपनाने होंगे जिससे गंगा को प्रदूषित होने से बचाया जाए।

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