महर्षि दुर्वासा की जयंती पर ककरा दुबावल स्थित आश्रम में आस्था का माहौल Prayagraj News

महर्षि दुर्वासा आध्यात्म संस्कृति मानव जीवन को अनुशासित आदर्श में ढालने के लिए सदैव तत्पर थे। इसके कारण भ्रमवश उन्हें लोग क्रोधी संत कहकर अपनी अज्ञानता का परिचय देते हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 07:25 PM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 07:25 PM (IST)
महर्षि दुर्वासा की जयंती पर ककरा दुबावल स्थित आश्रम में आस्था का माहौल Prayagraj News
महर्षि दुर्वासा की जयंती पर ककरा दुबावल स्थित आश्रम में आस्था का माहौल Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। हनुमानगंज स्थित ककरा दुबावल स्थित महर्षि दुर्वासा तपस्थली आश्रम में बुधवार को आस्था की गंगा बही। महर्षि दुर्वासा के पूजन और अर्चन के लिए भक्तों की भीड़ जुटी रही। इस दौरान अनेकों धार्मिक आयोजन भी हुए। आश्रम में ओम नम: शिवाय पारायण जप, रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया। वहीं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ब्राह्मणों ने पूजा-अर्चना और आरती की।

महर्षि दुर्वासा के आध्यात्मिक योगदान पर वर्तमान में शोध करने की जरूरत

इस दौरान गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। गोष्ठी में चंडी पत्रिका के संपादक ऋतशील शर्मा ने महर्षि दुर्वासा के साधना संबंधी योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि महर्षि दुर्वासा के आध्यात्मिक योगदान पर वर्तमान में शोध करने की जरूरत है। आचार्य महेंद्र मिश्र ने कहा कि महर्षि दुर्वासा आध्यात्मिक प्रशासक थे। वह अध्यात्म, संस्कृति, मानव जीवन को अनुशासित आदर्श में ढालने के लिए सदैव तत्पर रहे। इसके कारण भ्रमवश उन्हें लोग क्रोधी संत कहकर अपनी अज्ञानता का परिचय देते हैं।

महर्षि दुर्वासा एवं भारद्वाज की साधना का योगदान रहा है

इसी प्रकार कवि एवं ज्योतिषाचार्य ओम प्रकाश, पंडित देवी दत्त शुक्ल, पंडित रमादत्त शुक्ल शोध संस्थान के सचिव  ब्रतशील शर्मा ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि प्रयागराज को तर्थ राजत्व की महत्ता प्राप्त होने में महर्षि दुर्वासा एवं महर्षि भारद्वाज सदृश जैसे संतों की साधना का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस अवसर पर श्रीकांत मिश्र, ज्वाला प्रसाद मिश्र, शिवशंकर शुक्ल, विद्याधर तिवारी, डॉ. विक्रम सिंह पटेल, डॉ. आशुतोष त्रिपाठी, अजय मिश्र, सुधाकर पांडेय, हरेंद्र दुबे, राजेंद्र पांडेय, शैलेंद्र सिंह, अरुण मिश्र, आदि अतिथि मौजूद रहे।

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