हरिद्वार कुंभ में भी बिखरे संगमनगरी जैसी ही आभा Prayagraj News

परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि प्रयागराज कुंभ में व्यवस्था दिव्य थी। हम चाहते हैं कि संतों व श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हरिद्वार में भी वैसा हो।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 14 Jul 2020 09:24 AM (IST) Updated:Tue, 14 Jul 2020 09:24 AM (IST)
हरिद्वार कुंभ में भी बिखरे संगमनगरी जैसी ही आभा Prayagraj News
हरिद्वार कुंभ में भी बिखरे संगमनगरी जैसी ही आभा Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन।  सनातन धर्म के वैभव, संस्कृति का प्रतीक है कुंभ पर्व। तीर्थराज प्रयागराज में 2019 में संपन्न कुंभ, देश-विदेश में ब्रांडिंग का सबब बना था। इसे अब तक सबसे उत्कृष्ट व्यवस्था के लिए याद किया जाता है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद चाहता है कि प्रयागराज जैसी आभा हरिद्वार कुंभ के दौरान भी बिखरे। परिषद ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसे जल्द ही गृहमंत्री अमित शाह व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपा जाएगा।

अखाड़ा परिषद का प्रतिनिधिमंडल जल्द केंद्रीय गृहमंत्री को देगा अपना प्रस्‍ताव

प्रयागराज कुंभ 2019 में श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए राज्य सरकार ने खास इंतजाम किया था। मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार, यातायात, स्वच्छता, सुरक्षा को लेकर विशेष सुविधा की गई थी। हरिद्वार में 2021 में कुंभ पर्व का आयोजन होगा। इसकी तैयारी चल रही है। अखाड़ा परिषद चाहता है कि प्रयागराज की तर्ज पर हरिद्वार स्थित अखाड़ों के आश्रमों के लिए आर्थिक सहयोग दिया जाय साथ ही प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार करने, स्वच्छता, विद्युत आपूर्ति, यातायात व संचार की निर्बाध व्यवस्था हो। परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि प्रयागराज कुंभ में व्यवस्था दिव्य थी। हम चाहते हैं कि संतों व श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हरिद्वार में भी वैसा हो।  जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक व अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि कहते हैं कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने हर सुविधा देने का आश्वासन दिया है। कहां क्या काम होना चाहिए? इसी क्रम में अखाड़ा परिषद का प्रतिनिधिमंडल जल्द केंद्रीय गृहमंत्री व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को अपना प्रस्ताव दे देगा।

प्रयागराज कुंभ एक नजर में

-3200 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में मेला बसा था।

-देश-विदेश से लगभग 24 करोड़ श्रद्धालु आए थे।

-1.22 लाख हजार शौचालय व मूत्रालय बनाए गए थे।

- 20 हजार सफाई कर्मी 24 घंटे सक्रिय थे। स्वच्छता का बेहतर काम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ था।

-मेला क्षेत्र में 40 हजार एलईडी लाइटें लगी थीं।

-पांच सौ शटल बसें चलाई गई थी। ई-रिक्शा की सुविधा थी। बसों की सुविधा भी गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज हुई।

-13 अखाड़ों व प्रमुख आश्रम को एक से सवा करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई।

-12 माधव व परिक्रमा क्षेत्र के मंदिरों का जीर्णोद्धार हुआ।

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