Anganwadi Kendra: प्रयागराज में किराए के भवन में अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों का हो रहा संचालन

Anganwadi Kendra प्रयागराज जिले में 4499 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं। इनमें से मात्र 638 के पास ही खुद का केंद्र हैं। बाकी के सभी केंद्र या तो किराए के मकान में चल रहे हैं या स्कूल के सहारे संचालन हो रहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 03:06 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 03:06 PM (IST)
Anganwadi Kendra: प्रयागराज में किराए के भवन में अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों का हो रहा संचालन
प्रयागराज के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों में अपना खुद का भवन नहीं है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए नौनिहालों की शिक्षा, कुपोषण, स्वास्थ्य, गर्भवती और नर्सिंग माताओं के विकास की आधारशिला रखी है। हालांकि प्रयागराज जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों के स्वयं के भवन की भारी किल्लत है। यहां किराए के केंद्र की पतवार से आंगनबाड़ी की नाव चल रही। बिना स्वंय के केंद्रों के योजनाओं का सुगमता से संचालन नहीं हो पा रहा है।

प्रयागराज में 4499 आंगनबाड़ी केंद्र

जिले में 4499 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं। इनमें से मात्र 638 के पास ही खुद का केंद्र हैं। बाकी के सभी केंद्र या तो किराए के मकान में चल रहे हैं या स्कूल के सहारे संचालन हो रहा है। इन केंद्रों के संचालन के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका की नियुक्ति हुई है। इस समय 700 से अधिक आंगनबाड़ी व सहायिका के पद खाली चल रहे हैं। ऐसे में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के सामने योजनाओं को सुगमता से जमीन पर उतारने और आमजन तक सुविधाएं पहुंचाने की बड़ी चुनौती भी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 638 केंद्र का निर्माण

वैसे तो आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना के लिए मानक तय है कि अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र में 400-800 जनसंख्या पर एक आंगनवाड़ी केंद्र होगा। अगर जनसंख्या और अधिक हो तो केंद्रों की संख्या बढोगी। दूरदराज के क्षेत्रों में लघु आंगनवाड़ी केंद्र भी बनाए जाते हैं। इस समय जिले में 4499 स्वीकृत केंद्रों में 506 केंद्र शहरी सीमा में संचालित होते हैं और किसी के पास भी अपना खुद का भवन नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक मात्र 638 केंद्र का निर्माण किया जा सका है।

पांच आंगनबाड़ी केंद्र निर्माणाधीन

2020-21 वित्तीय वर्ष में मात्र 5 आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण का बजट आया था, जो निर्माणाधीन हैं। जिले में जिस कछुआ गति से आंगनबाड़ी केंद्र के लिए आवंटन हो रहा है, उससे आगे एक दशक में भी सभी के पास स्वयं का भवन हो पाना मुश्किल है। जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार राव ने बताया कि जिले में अभी आंगनबाड़ी केंद्रों का कायाकल्प शुरू नहीं हुआ है। जो केंद्र संचालित हैं, उनके माध्यम से सभी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अलग अलग बजट आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए आता है। जमीन की उपलब्धता न होने के कारण भी भवनों की संख्या तेजी से नहीं बढ़ रही है।

725 पद खाली, ईडब्ल्यूएस कोटे का होगा पुन: निर्धारण

जिले में आंगनबाड़ी से संबंधित 725 पद खाली हैं। इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के 306, सहायिका के 406 व 13 मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद रिक्त चल रहे हैं। पूर्व में भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया। भर्ती प्रक्रिया शुरु हुई लेकिन आरक्षण को लेकर भर्ती अधर में लटक गई है। ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत सीटों का आवंटन न होने के कारण अब फिर ईडब्ल्यूएस कोटे के पदों का निर्धारण होगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार राव ने बताया कि पूर्व में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण को लेकर प्राविधान नहीं था। इस कारण अब ईडब्ल्यूएस कोटे का पुन: निर्धारण होगा।

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