..और पंत ने नहीं लिखी गंगा पर कविता

जागरण संवाददाता प्रयागराज हिदी साहित्य में छायावादी युग के प्रभु स्तंभ प्रकृति सुकुमार कवि सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत का जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Dec 2020 09:38 PM (IST) Updated:Sun, 27 Dec 2020 09:38 PM (IST)
..और पंत ने नहीं लिखी गंगा पर कविता
..और पंत ने नहीं लिखी गंगा पर कविता

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : हिदी साहित्य में छायावादी युग के प्रभु स्तंभ प्रकृति सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत का जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा। ज्ञानपीठ व पद्मविभूषण जैसे सम्मान से सम्मानित पंत कभी खुद की तारीफ पर अभिभूत नहीं हुए। बात यही कोई 1928 की है। कुछ लोगों ने उनसे गंगा पर कविता लिखने का आग्रह किया। बोले, उसका प्रयोग गंगा दशहरा पर करेंगे। लेकिन, पंत ने उनका आग्रह अस्वीकार कर दिया। बोले, 'मैं बिना मौके पर जाकर अनुभूति किए बिन नहीं लिख सकता।' साहित्यिक चिंतक डॉ. मोरारजी त्रिपाठी बताते हैं कि पंत जी प्रतापगढ़ के कालाकांकर में कई साल तक गंगा तीरे 'नक्षत्र' नामक कुटिया में रहे। कुटिया में रहकर साहित्य साधना की थी। वहीं, पर गंगा पर आधारित 'नौका विहार' तथा दूसरी कविता 'परिर्वतन' लिखी थी।

20 मई 1900 उत्तराखंड के बागेश्वर जिला के कौसानी नामक गांव में जन्मे सुमित्रानंदन पंत का जीवन अभाव में बीता। पिता गंगादत्त व मां सरस्वती की वे आठवीं संतान थे। स्नातक की पढ़ाई करने के लिए प्रयागराज आए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए में प्रवेश लेकर हिदू हास्टल में रहते थे। यहां 1919 से 21 तक रहे। महात्मा गांधी के आह्वान पर पढ़ाई छोड़कर साहित्यिक लेखन में जुट गए। यहीं 1926 में 'पल्लव' नामक पुस्तक लिखकर छायावाद को स्थापित कर दिया। समालोचक रविनंदन सिंह बताते हैं कि निराला के साथ पंत भी हिदुस्तानी एकेडेमी की कार्यकारिणी में शामिल थे। एक बार उन्हें उपाध्यक्ष भी बनाया गया। वे कालाकांकर के राजा अवधेश सिंह के छोटे भाई सुरेश सिंह के मित्र थे। सुरेश के आग्रह पर 1930 से 1940 तक कालाकांकर में रहे। वहीं, 1938 तक 'रूपाग' नामक पत्रिका निकाली। कवि नरेंद्र शर्मा भी उनसे जुड़े थे। इसके अलावा चर्चित काव्य संग्रह गुंजन, ज्योत्सना, युगांत, युग वाणी लिखी। वहां से 1941 में प्रयागराज आ गए। यहां बेली रोड स्थित हरिवंश राय बच्चन के साथ रहने लगे। दोनों लोग जहां रहते थे उसका नाम बासुधा (बच्चन-सुमित्रानंद धाम) रखा गया। फिर 1943 नृत्य सम्राट उदयशंकर के साथ देश के भ्रमण पर निकल पड़े। उदयशंकर नाट्य प्रस्तुति के लिए कल्चरण सेंटर चलाते थे। पंत उनके लिए कविताएं लिखते थे। पंत ने पांडिचेरी स्थित अरविंद आश्रम में दो साल रहकर अरविंद दर्शन पर आधारित 'स्वर्ण किरण' व 'स्वर्ण धुलि' नामक किताब लिखी। फिर 1947 में मुंबई पहुंचे। वहां उमर खय्याम की रुबाइयों का 'मधु ज्वाल' के नाम भावानुवाद किया। मुंबई से 1948 में प्रयागराज आए और मित्र कृष्णानंद पांडेय के छह बेली रोड स्थित आवास पर रहने लगे। यहां 'उत्तरा' नामक काव्य संग्रह लिखा। 1950 में आकाशवणी में हिदी नियोजक का पद मिलने पर दिल्ली आ गए। इस दौरान रजत शिखर, शिल्पी, सौवर्ण गद्य संग्रह व काव्य संग्रह अंतिमा लिखी। सेवानिवृत्त होने पर 1957 में रेडियो में सलाहकार बनाए गए। प्रयागराज आकर स्टैनली रोड स्थित घर में रहने लगे। यहां वाणी व कला और बूढ़ा चांद नामक पुस्तक लिखी। यहीं 28 दिसंबर 1977 को उनका निधन हो गया।' साहित्यकारों की मदद के लिए पंत लोकायतन नामक संस्था बनाई थी। इसके लिए सरकार को पत्र लिखकर गरीब साहित्यकारों को आर्थिक मदद देने की मांग की थी। लेकिन, उसके अनुरूप कुछ नहीं हुआ।

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बोले थे 'तीन दिन बाद नहीं रहूंगा'

सुमित्रानंदन पंत चर्चित कवि होने के साथ ज्योतिष के बड़े जानकार भी थे। उन्होंने अपनी मृत्यु की गणना स्वयं कर ली थी। वरिष्ठ कवि यश मालवीय बताते हैं कि मेरे पिता उमाकांत मालवीय 25 दिसंबर 1977 की शाम पंत से मिलने गए थे। पिता जी बोले, 'मुझे काव्य पाठ करने के लिए दिल्ली जाना है।' तब पंत जी बोले, 'तुम मत जाओ, क्योंकि तीन दिन बाद मैं नहीं रहूंगा'। घर आकर मां को पूरी बात बताई तो वे व्याकुल हो गई, क्योंकि उनकी ज्योतिष की गणना का लोहा सभी मानते थे और उसी के अनुरूप उनकी मृत्यु हुई। पंत ने मुंशी प्रेमचंद के बेटे अमृत राय से कहा था कि तुम्हारी और तुम्हारी पत्‍‌नी की पुण्यतिथि एक दिन होगी और दोनों की मृत्यु 15 अगस्त को अलग-अलग वर्ष में हुई थी।

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अमिताभ से बोले, 'मार्केश के बाद बदलेगी स्थिति'

बीएससी पास करके अमिताभ बच्चन नौकरी की तलाश में भटक रहे थे। आकाशवाणी में उनकी आवाज पसंद नहीं की गई। फिल्मी दुनिया में प्रवेश किया तो 'सात हिदुस्तानी' नामक फिल्म फ्लाप हो गई थी। इससे वे निराश हो गए थे। तब पंत ने उनसे कहा था कि 'चिंता न करो। मार्केश खत्म होने के बाद तुम सितारे की तरह चमकोगे।' फिर उन्हें जंजीर नामक फिल्म मिली और पूरी स्थिति बदल गई।

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