एंबुलेंस कर्मियों को एसआरएन अस्पताल से है परेशानी, घंटाें इंगेज रखे जाने से मरीजों को भी दिक्कत
जीवनदायिनी एंबुलेंस संघ प्रयागराज का वाट्सएप ग्रुप ऐसी तस्वीरों और एंबुलेंस कर्मियों की शिकायत से भरा पड़ा है जो स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में मनमानी की हकीकत बयां करते हैं। अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने के लिए सरकार प्रयासरत है वहीं इसके बदले शिकायतें और मनमानी बढ़ती जा रही है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन) में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। स्टाफ की मनमानी के कारण एंबुलेंस कर्मियों के समक्ष भी समस्या है। स्ट्रेचर की कमी के चलते एसआरएन अस्पताल में उन एंबुलेंस को घंटों इंगेज रखा जाता है, जो दूरदराज से किसी गंभीर मरीज को लेकर आते हैं। एंबुलेंस के स्ट्रेचर पर ही मरीज को लिटाए रखा जाता है। यह स्थिति तीन से चार घंटे तक रहती है जबकि एंबुलेंस का नियम है कि उसे अस्पताल में पांच से 10 मिनट तक ही रोका जाए।
जीवनदायिनी एंबुलेंस संघ प्रयागराज के कर्मी बोले- दो वर्ष से है यह सिलसिला
सड़क दुर्घटना में घायल एक युवक को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हंडिया से लेकर सोमवार रात एसआरएन पहुंचे। एंबुलेंस कर्मी को डाक्टरों ने करीब छह घंटे रोक लिया। वजह थी कि अस्पताल में कोई स्ट्रेचर और बेड खाली नहीं था। एंबुलेंस के ही स्ट्रेचर पर मरीज को लिटाए रखा गया और तब तक एंबुलेंस इंगेज रही। इससे एंबुलेंस अपने गंतव्य को लौट नहीं पाई और दूसरे जरूरतमंद मरीजों को इससे परेशानी हुई। यह कोई एक मामला नहीं बल्कि जीवनदायिनी एंबुलेंस संघ प्रयागराज के कर्मचारियों की मानें तो दो वर्ष से यही सिलसिला चल रहा है।
तस्वीर और शिकायत से भरे हैं वाट्सएप ग्रुप
जीवनदायिनी एंबुलेंस संघ प्रयागराज का वाट्सएप ग्रुप ऐसी तस्वीरों और एंबुलेंस कर्मियों की शिकायत से भरा पड़ा है, जो स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में मनमानी की हकीकत बयां करते हैं। अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाने के लिए एक तरफ तो सरकार अरबों रुपये खर्च कर रही है, वहीं इसके बदले शिकायतें और मनमानी बढ़ती जा रही है।
102 और 108 एंबुलेंस सेवा के प्रोग्राम मैनेजर ने यह कहा
102 और 108 एंबुलेंस सेवा के प्रोग्राम मैनेजर सुनील कुमार का कहना है कि करीब दो वर्ष से एसआरएन अस्पताल में मनमानी हो रही है। जो भी एंबुलेंस किसी मरीज को लेकर जाती है, स्ट्रेचर खाली न हाेने के बहाने उसे तीन से चार घंटे रोक लिया जाता है। मरीज को एंबुलेंस के ही स्ट्रेचर पर लिटाए रखकर इलाज किया जाता है। जबकि नियम है कि मरीज को ड्राप करने के दौरान एंबुलेंस पांच से 10 मिनट ही अस्पताल में रुकेगी। इसके बाद दूसरे मरीज के लिए रवाना हो जाएगी।