अपने ही शहर से इलाहाबादी अमरूद गायब, अब उद्यान विभाग करेगा किसानों को जागरूक
अमरूद की घटती पैदावार को बढ़ाने के लिए उद्यान विभाग ने अब 97 लाख रुपये की कार्य योजना तैयार की है। किसानों का कहना है कि यही कार्य योजना पहले तैयार की गई होती तो अमरूद की फसल बर्बाद न होती।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबादी अमरूद की पैदावार इस बार नाम मात्र की हुई है। फ्रूट फ्लाई और खैरा रोग ने 80 फीसदी से अधिक अमरूद की पैदावार को प्रभावित कर दिया है। पैदावार घटने से अपने ही गढ़ में इलाहाबादी अमरूद इस समय खोजे नहीं मिल रहा है। जो मिल भी रहा है वह खैरा रोग से ग्रसित हैं, खाने के लायक भी नहीं है।
अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए उपनिदेशक उद्यान ने बनाई योजना
अमरूद की घटती पैदावार को बढ़ाने के लिए उद्यान विभाग ने अब 97 लाख रुपये की कार्य योजना तैयार की है। किसानों का कहना है कि यही कार्य योजना पहले तैयार की गई होती तो अमरूद की फसल बर्बाद न होती। इलाहाबादी अमरूद न मिलने से लोग अब छत्तीसगढ़ से आए अमरूद को विकल्प के तौर पर खरीद रहे हैं। छत्तीसगढ़ से इस समय दो प्रजाति के अमरूद की आवक हो रही है। बीएनआर और थाईपिंक दोनों अमरूद का रंग और आकार एक समान है। इसके बावजूद लोग इलाहाबादी अमरूद को खरीदने लिए शहर के अलग-अलग बाजारों में पहुंच रहे हैं।
सर्दियों वाले अमरूद के लिए तरस गए इलाहाबादी
सर्दियों वाला अमरूद ज्यादा स्वादिष्ट और साफ-सुथरा होता है। इसका इंतजार खाने वालों को भी रहता है और किसानों को भी। सर्दियों वाले अमरूद की मांग ज्यादा होती है। इस वजह से किसानों की कमाई भी इसी सीजन में ज्यादा होती है, लेकिन इसकी पैदावार घटने से प्रयागराज के साथ ही कौशांबी के तमाम किसान मायूस हैं।
उपनिदेशक उद्यान का है कहना
अमरूद की बेहतर पैदावार के लिए 97 लाख रुपये की कार्ययोजना बनाई गई है। अमरूद की खेती करने वाले किसानों को इस कार्ययोजना से जोड़ जाएगा। संगोष्ठी के साथ ही उन्हें फ्रूट फ्लाई से बचाव की भी जानकारी दी जाएगी। जिस एरिया में अमरूद की खेती होती है वहां पर उद्यान विशेषज्ञों की टीम लगाई जाएगी। अमरूद की खेती करने का अगले वर्ष रकबा भी बढ़ाया जाएगा।
- पंकज शुक्ला, उपनिदेशक उद्यान