कर्मयोगी की बेटी के हाथ पीले कराने को आगे आया इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिवार, जानिए पूरा मामला
इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिवार ने बेहतर कार्य के लिए अपने हाथ बढ़ाए हैं। समाचार पत्र वितरक की बेटी की शादी कराने के लिए विश्वविद्यालय के पुरा छात्र मदद को आगे आए हैं। पिता ने केंद्रीय विश्वविद्यालय के पुरा छात्र अजित सिंह से साझा की तो उन्होंने इसे फेसबुक पर साझा किया।
प्रयागराज, जेएनएन। हर पिता को हर वक्त यही चिंता रहती है वह बेटी के हाथ कैसे पीले करेगा। प्रयागराज के एक कर्मयोगी (समाचार पत्र वितरक) ने भी अपनी यही समस्या इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पुरा छात्र अजित सिंह से साझा की। बस इसके बाद तमाम पुरा छात्र मदद के लिए आगे आ गए। अजित ने फेसबुक पोस्ट के जरिए मदद की अपील की है।
पढ़िए पूरा फेसबुक पोस्ट
।।पेपर वाले पंडित जी ।।
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-हलो, हलो अजित बाबू?
- हां
-अरे पेपर वाले पंडित जी बोल रहे हैं, ताराचंद होस्टल वाले।
-अरे का यार पंडित जी, बड़े दिन बाद याद किये, कहां से याद आ गई?
-तोहही कौन सा याद कर लिया, बड़ा कलेक्टर भये बाटा?
-अरे यार पंडित जी, इतने दिन बाद याद भी किये तो काहे गुस्से में हो।
-तोहार सब के काम ही ऐसा बा, कभी हाल चाल लिए पंडित जी का, अगर कलेक्टर हो गए होते तो क्या करते?
-अरे यार पंडित जी काहे जलती रग पे हांथ रख रहे हैं, जब नही हो पाए तो क्या करे, पेपर ठीक से पढ़ाए नहीं आप।
-अरे हम तो तबो कहत रहली की कायदे से पढ ला, मेहनत करा लेकिन हमार बात कंहा सुनला, मेहनत करे होता तो होई जाता, दिमाग तो सही रहबे किया, लेकिन बिटिहिनी और लल्ला से फुरसत मिले तब ना।
-अरे महाराज कितनी बेइज्जती करबा राजू, चला जाये दा अब।
-उपरोक्त बाते मेरे ताराचंद होस्टल में पिछले लगभग 35 साल से पेपर दे रहे पंडित जी से हो रही थी, पंडित श्रीकांत जी मेरे जैसे पता नहीं कितने लोगों को पेपर पढ़ा के कुछ ना कुछ बना दिए।
-स्वभाव से मस्त पंडित जी हाथी की तरह झूलते हुए पेपर देने आते थे और नसीहत जरूर देते थे।
-सुना अजित बाबू
-हां पंडित जी
-मास्टर क लड़िका बाटा ना।
-हां पंडित जी ।
-तो जादा बाबू साहब मत बना, कायदे से पढ़ा, बड़ी मेहनत की कमाई होती है मास्टर की, पेट काट के पढ़ाते हैं, नबाबी मत दिखावा।
-जी पंडित जी।
-जी जी मत करा, ला ई वाला पेपर में संपादकीय बहुत मस्त बा पढ लिहा तीन नम्बर वाले तिवारी सर बता रहे थे।
-तो पंडित जी हम लोगो के बहुत प्रिय थे, पांच ब्लॉक के मिडिल फ्लोर पे जब इनको मजा लेना हो तो आराम से आते और कोई ना कोई को कुछ न कुछ समझा के चले जाते थे। तीन पेपर देते एक का पैसा लेते, दो को दूसरे दिन उठा ले जाते पूछने पे कहते
--अरे बाऊ साहब वापस कर देंगे कि नही बिका।
आज बहुत दिन बाद बात हुई, हाल चाल पूछा कि अब सब लड़के कैसे है पंडित जी ,बोले---
-हे बाऊ साहब अब कुल चालाक हो गए हैं, बोल रहे गूगल में सब है।
-अच्छा।
-हां बतावा, पेपर तो सामने रहे, जब मन हो पढ लो, सरवा गूगल में कब तक देखबा, लडके ससुरे उही फोनवा में किताब भी देखत बाटेन और बिटिहिनी( लड़की भी) समझ मे ना आवत बा हो ।
-हाहाहा अरे पंडित जी, तोहके बिटिहिनी से इतनी परेशानी का बा।
-अरे कुछ नाही हो, हमहू लड़िका के बाप हई ना, तो सोचिला की तू लोग आगे जा
अब तो 35 साल से ताराचंद होस्टल मेरा घर ही हो गया है, जब सुनते हैं कि यँहा से निकले बच्चे फल फूल रहे हैं तो सीना चौड़ा हो जाता है।
-तो ऐसे हैं हमारे श्री कांत पंडित जी तब भी जैसे मजेदार आज भी वैसे ही, हम लोगो ने इनको कभी पेपर वाला नही समझा और ना ही इन्होंने अपना रुआब कम किया, मजे मजे में ही हम लोगो को दबाये रहते थे।
-बात चीत में ही पता चला कि लड़के को इंजीनियरिंग पढ़ा रहे हैं और अपनी बेटी की शादी भी तय कर दिए हैं। पूछने पे की बेटी की शादी का क्या इंतजाम है, बोले अजित बाबू एक तो पंडित पेपर वाला ऊपर से बेटी का बाप, इंतजाम मेरे बस का है, कोई लड़की का बाप कभी इंतजाम कर पाया है, सब ऊपर वाला करेगा।
-पंडित जी की बात सुन के मन भर आया और उनके ऊपर प्यार भी, मेरा ताराचंद के सभी सीनियर ,साथी और जूनियर से अनुरोध है कि जो लोग भी सक्षम हैं, और पंडित जी से जुड़े हैं एक बार उन्हें फोन कर दिलासा जरूर दे।
-और हां पंडित जी निश्चिंत होकर सोइये, खाली लड़की के निरीह बाप की तरह मत सोचिए, हम लोग आप के साथ हैं, कन्यादान में बहुत से भाई खड़े मिलेंगे।
-इसको पढ़ने वाले ताराचंद होस्टल में रहने वाले मददगार लड़के आगे आये और नौकरी करने वालो की एक लिस्ट बना ले, मिल के पंडित जी की मदद की जाएगी, पंडित जी ने खाली पेपर ही नहीं दिया है हम लोगो को पेपर में जगह भी दी है।
-लव यू पंडित जी-
उनका नंबर--7786837974
।। अजित सिंह।।