Allahabad University and college: अब प्रथम सेमेस्टर के छात्रों को भी देनी होगी परीक्षा, जानिए क्या है पूरा मामला
अफसरों की तरफ से परीक्षा पर एक बार में स्थिति स्पष्ट नहीं करने से छात्रों में भी नाराजगी है। उनका कहना है कि जब समिति की बैठक मंगलवार को हुई तो बुधवार की देर शाम ऐसा क्या हुआ कि अचानक विवि प्रशासन को अपना फैसला पलटना पड़ा।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) समेत संघटक कॉलेजों में परास्नातक और इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज (आईपीएस) पाठ्यक्रम के प्रथम सेमेस्टर के छात्रों को भी अब परीक्षा देनी होगी। परीक्षा समिति में लिए गए फैसले में खुद इविवि के प्रशासनिक अफसर उलझ गए। यही वजह है कि दूसरे दिन देर शाम इसका नोटिफिकेशन जारी करना पड़ा।
परीक्षा समिति का यह था निर्णय
कुलपति की अध्यक्षता में मंगलवार को परीक्षा समिति की बैठक में स्नातक द्वितीय वर्ष को प्रोन्नत और तृतीय वर्ष के छात्रों को बगैर परीक्षा उत्तीर्ण किए जाने पर सहमति बनी। परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर रमेन्द्र कुमार सिंह की तरफ से आदेश जारी किया गया कि परास्नातक और प्रोफेशनल पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष को छोड़कर सभी को प्रोन्नत किया गया है।
अचानक पीआरओ ने जारी कर दी विज्ञप्ति
बुधवार देर शाम करीब नौ बजे पीआरओ डॉक्टर जया कपूर ने विज्ञप्ति जारी कर दी। उन्होंने बताया कि अब प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा भी कराई जाएगी। यह परीक्षा स्नातक प्रथम वर्ष और परास्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षा के साथ जुलाई अथवा अगस्त में कराई जाएगी। ऐसे में यह भी स्पष्ट हो गया कि अपने ही फैसले में दूसरे दिन देर शाम तक प्रशासनिक अफसर उलझे रहे। शीर्ष अफसरों के साथ घण्टों मंथन के बाद यह निर्णय लिया गया कि प्रथम सेमेस्टर की भी परीक्षा कराई जाएगी।
अफसरों पर छात्रों ने लगा दी सवालों की झड़ी
अफसरों की तरफ से परीक्षा पर एक बार में स्थिति स्पष्ट नहीं करने से छात्रों में भी नाराजगी है। उनका कहना है कि जब समिति की बैठक मंगलवार को हुई तो बुधवार की देर शाम ऐसा क्या हुआ कि अचानक विवि प्रशासन को अपना फैसला पलटना पड़ा।
अफसरों में मजबूत इच्छाशक्ति की कमी
इविवि के पुरा छात्र अंकित द्विवेदी का कहना है कि इविवि प्रशासन में मजबूत इच्छाशक्ति की कमी है अन्यथा इविवि परीक्षा भी आसानी से करा लेती। अंकित का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि आंतरिक राजनीति में छात्रों के भविष्य कर साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यही वजह है कि प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी नहीं बोल रहे हैं।