Prayagraj Weather News: आसमान में छाए बादल बढ़ा रहे उमस, आज बारिश की है संभावना
Prayagraj Weather News आज का अधिकतम तापमान 35.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान 28.0 डिग्री सेल्सियस है। सुबह से आसमान में बादलों का डेरा है। बारिश न होने से उमस बढ़ी है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक आज शाम तक बारिश के आसार जताए हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। मानसूनी बारिश इन दिनों प्रयागराज में हो रही थी। वहीं मंगलवार के बाद आज बुधवार को भी आसमान में बादल तो छाए हैं लेकिन बारिश नहीं हुई। इससे उमस भरी गर्मी का वर्चस्व भी बढ़ गया है। हालांकि मौसम विभाग ने आज बारिश के आसार जताए हैं।
आज का अधिकतम व न्यूनतम तापमान
आज का अधिकतम तापमान 35.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान 28.0 डिग्री सेल्सियस है। सुबह से आसमान में बादलों का डेरा है। हालांकि दो दिन से बारिश नहीं होने और तापमान में बढ़ोतरी होने से उमस बढ़ी है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक आज शाम तक बारिश के आसार जताए हैं।
शुआट्स के कृषि वैज्ञानिकों की किसानों को सलाह
सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) नैनी के कृषि वैज्ञानिकों ने आज हल्की बारिश के आसार व्यक्त किए हैं। वैज्ञानिकों ने किसानों को बारिश के मौसम में अच्छी खेती की सलाद दी है। उन्होंने कहा कि धान के पौधे तैयार करने के लिए 1.25 मीटर चौड़ी व 8 मीटर लंबी क्यारियां बना लेते हैं तथा प्रति क्यारी ( 10 वर्ग मीटर ) 225 ग्राम यूरिया, 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट तथा 50 ग्राम जिंक सल्फेट मिलाते हैं।
इस सप्ताह अरहर की बोवाई कर सकते हैं किसान
अरहर प्रति हेक्टयर क्षेत्र के लिए 12-15 किग्रा बीज आवश्यक होगा। ज्वार की बोवाई इस सप्ताह में की जा सकती है । ज्वार के लिए प्रति हेक्टयर 12-15 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। मक्का संकर प्रताजियों के लिए 18-20 किग्रा व संकुल प्रजातियों के लिए 20-25 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। प्रभात व यूपीएएस -120 शीघ्र पकने वाली तथा बहार, नरेंद्र अरहर -1 व मालवीय अरहर -15 देर से पकने वाली अच्छी प्रजातियां हैं।
केला की रोपाई का भी यह उपयुक्त समय
केला की रोपाई के लिए यह उपयुक्त समय है। रोपण हेतु तीन माह पुरानी, तलवारनुमा, स्वस्थ रोगमुक्त पुत्ती का ही प्रयोग करें। रजनीगंधा देशी गुलाब और गेंदा में खरपतवार निकालें व आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें। माह के अंत में मेंथा की फसल की दूसरी कटाई कर लें।