हाई कोर्ट ने डीएम प्रयागराज के कार्य को बताया नियम विरुद्ध, जिसकी शिकायत उसको ही जांच सौंपी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी प्रयागराज से जवाब मांगा है कि जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत की गई उसी अधिकारी को जांच क्यों सौंप दी। कोर्ट ने पूछा है कि आपत्ति के बाद कनिष्ठ अधिकारी को जांच सौंप कैसे शिकायत को रफा-दफा कर दिया।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 11:59 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 11:59 PM (IST)
हाई कोर्ट ने डीएम प्रयागराज के कार्य को बताया नियम विरुद्ध, जिसकी शिकायत उसको ही जांच सौंपी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी प्रयागराज से जवाब मांगा है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी प्रयागराज से जवाब मांगा है कि जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत की गई, उसी अधिकारी को जांच क्यों सौंप दी। कोर्ट ने पूछा है कि आपत्ति के बाद कनिष्ठ अधिकारी को जांच सौंप कैसे शिकायत को रफा-दफा कर दिया। डीएम के इस कार्य को नियम विरुद्ध बताते हुए चुनौती दी गई है।

दीनदयाल प्रसाद की याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति सैय्यद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। याची के अधिवक्ता हर्षवर्धन शास्त्री का कहना था कि याची ने डूडा की प्रोजेक्ट अधिकारी वर्तिका सिंह के खिलाफ शिकायत की थी। डीएम ने शिकायत की जांच वर्तिका सिंह को ही सौंप दी। मामला संज्ञान में लाए जाने के बाद नौ फरवरी, 2021 को डीएम ने उनसे जांच वापस लेकर डूडा में जूनियर इंजीनियर लाल प्रताप सिंह को सौंप दी। फिर उनकी रिपोर्ट मिलने के बाद शिकायत का निस्तारण कर दिया।

अधिवक्ता का कहना था कि आठ फरवरी, 2018 को जारी शासनादेश के अनुसार जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत की गई यदि वही अधिकारी स्वयं अपनी जांच करता पाया जाए तो उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी। साथ ही जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत की गई है उससे कम से कम एक रैंक के ऊपर के अधिकारी को ही शिकायत की जांच सौंपी जा सकती है। जूनियर इंजीनियर पद रैंक में प्रोजेक्ट अफसर से छोटा है। इसलिए उससे जांच कराना नियम विरुद्ध है। इस मामले में अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।

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