प्राधिकरणों, निगमों, विभागों के वकीलों के खुद न आकर जूनियर को भेजने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त

हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह सभी विभागों निगमों प्राधिकरणों को निर्देशित करें कि उनके द्वारा नियुक्त वकील अदालत में सुनवाई के समय बहस के लिए स्वयं मौजूद रहें अपने जूनियरसहयोगी या मित्र को पक्ष रखने के लिए कतई नहीं भेजें

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 08:45 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 08:45 PM (IST)
प्राधिकरणों, निगमों, विभागों के वकीलों के खुद न आकर जूनियर को भेजने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त
प्रमुख सचिव शहरी नियोजन को ध्वस्तीकरण के खिलाफ अर्जी तय करने को दो माह का समय

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह सभी विभागों, निगमों, प्राधिकरणों को निर्देशित करें कि उनके द्वारा नियुक्त वकील अदालत में सुनवाई के समय बहस के लिए स्वयं मौजूद रहें, अपने जूनियर,सहयोगी या मित्र को पक्ष रखने के लिए कतई नहीं भेजें। हाई कोर्ट ने कहा कि अक्सर देखा जा रहा है कि विभागों, निगमों, प्राधिकरणों, विश्वविद्यालयों के नियुक्त वकील कोर्ट में स्वयं न आकर दूसरे को ब्रीफ देकर भेजते हैं, जो सही नहीं है। कोर्ट ने सहारनपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से कहा कि वह बतायें कि उन्होंने सत्यम सिंह को अपना वकील नियुक्त किया है या उन्हें अपना जूनियर,सहयोगी या मित्र को भेजने के लिए अधिकृत किया है।

ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर रोक, कार्यवाही की जानकारी तलब

हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन उत्तर प्रदेश को अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ पिछले सात साल से लंबित याचिका की पुनरीक्षण अर्जी को दो माह में निर्णित करने का भी निर्देश दिया है। तब तक याची के निर्माण के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है। याचिका की अगली सुनवाई सितंबर के आखिरी हफ्ते में होगी। उस दिन कोर्ट ने कृत कार्यवाही की जानकारी मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गौरव जैन की याचिका पर दिया है।

याची अधिवक्ता मधुसूदन दीक्षित का कहना है कि 2014 में याची के कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश सहारनपुर विकास प्राधिकरण ने जारी किया था। उसके खिलाफ याची ने शहरी नियोजन कानून की धारा 41(3)के अंतर्गत राज्य सरकार को पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की है। हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को एक माह में निर्णय लेने को कहा था।इसके बावजूद अर्जी तय नहीं की गयी और प्राधिकरण ने 13अगस्त 2020 को नोटिस जारी कर कहा कि निर्माण हटा लें अन्यथा ध्वस्तीकरण कर दिया जायेगा।

मुख्य सचिव को निर्देश, नियुक्त वकील ही करें बहस

कोर्ट में प्राधिकरण के अधिवक्ता की तरफ से अधिवक्ता सूर्यभान सिंह बहस के लिए आए। उन्होंने कहा कि वह सत्यम सिंह का ब्रीफ होल्ड कर रहे हैं। प्राधिकरण के वकील स्वयं नहीं आए जिसे कोर्ट ने राज्य के लिए अफसोसजनक करार दिया और प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट ने महानिबंधक को आदेश की प्रति 72 घंटे में मुख्य सचिव को भेजने का भी निर्देश दिया है।

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