दारोगा भर्ती में आयु सीमा में छूट देने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका, सरकार को जवाब देने का निर्देश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वर्ष 2017 से 2020 तक दारोगा भर्ती न होने के कारण निर्धारित आयु सीमा पार कर चुके अभ्यर्थियों को उम्र में छूट देने की मांग वाली याचिका पर राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 12:53 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 12:54 AM (IST)
दारोगा भर्ती में आयु सीमा में छूट देने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका, सरकार को जवाब  देने का निर्देश
हाईकोर्ट में एसआइ भर्ती में आयु सीमा में छूट देने को लेकर दाखिल याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वर्ष 2017 से 2020 तक दारोगा भर्ती न होने के कारण निर्धारित आयु सीमा पार कर चुके अभ्यर्थियों को उम्र में छूट देने की मांग वाली याचिका पर राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने सुशील कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता तरुण अग्रवाल व प्रशांत मिश्र तथा स्थाई अधिवक्ता ने पक्ष रखा।

याचिका में आधार लिया गया कि ऐसे अभ्यर्थी जो 2016 के बाद संबंधित विभाग द्वारा दारोगा भर्ती की परीक्षा न कराने से आयु सीमा पार कर गए हैं और 2021 की भर्ती परीक्षा में उम्र अधिक होने के कारण आवेदन के लिए अयोग्य हो गए हैं, उन्हें एक अवसर प्रदान किया जाए।

याचिका में तर्क दिया गया कि उत्तर प्रदेश पुलिस व भर्ती प्रोन्नति बोर्ड ने गत फरवरी में पुलिस उप निरीक्षक के 9707 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला। इस भर्ती में आवेदन के लिए अधिकतम आयुसीमा 28 वर्ष है। यह भर्ती प्रक्रिया वर्ष 2016 के बाद अब की जा रही है। गत पांच वर्षों तक कोई भी भर्ती न होने के कारण बड़ी संख्या में योग्य अभ्यर्थी आयु के कारण इस भर्ती परीक्षा के लिए अयोग्य हो गए हैं।

मनीष कुमार एवं अन्य की याचिका में राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह आश्वासन दिया गया कि वर्ष 2017 से प्रारंभ होते हुए प्रत्येक वर्ष 3200 उप निरीक्षकों की भर्ती की जाएगी। राज्य सरकार ने 2016 के बाद कोई भी भर्ती विज्ञापन न निकालकर इस आश्वासन का उल्लंघन किया है। यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में समान परिस्थितियों में आरक्षी परीक्षा में आयुसीमा के आधार पर अयोग्य हो रहे अभ्यर्थियों को एक अवसर और देने का आदेश दिया था।

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