Allahabad High Court: बीएसएफ के ASI की गोली लगने से मौत पर केंद्र सरकार से जवाब तलब
कृष्ण मुरारी मिश्र सीमा पर तैनात थे। सात अगस्त 2019 की रात सिर में गोली लगने से उनकी मौत हो गई। डाक्टरों की टीम ने दो गोली मारकर हत्या की आशंका जताई जबकि सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी आत्महत्या ही करार दे रहे हैं।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत बंगलादेश सीमा पर तैनात बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के सहायक उप निरीक्षक की गोली लगने से मौत की सीबीआइ से जांच कराने की मांग में दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति आर के गौतम की खंडपीठ ने मनोरमा मिश्रा की याचिका पर दिया है।
विभाग ने आत्महत्या दिया है घटना को करार
याची अधिवक्ता नितेश श्रीवास्तव का कहना है कि देवरिया के जिगना मिश्र गांव के निवासी कृष्ण मुरारी मिश्र सीमा पर तैनात थे। सात अगस्त 2019 की रात सिर में गोली लगने से उनकी मौत हो गई। जिलाधिकारी देवरिया के आदेश पर डाक्टरों की टीम ने 10 अगस्त 2019 को दोबारा पोस्टमार्टम किया। सिर में दाहिनी तरफ से दो गोली मारी गई थी जो बायीं तरफ से निकल गई। डाक्टरों की टीम ने आत्महत्या की बजाय हत्या की आशंका जताई जबकि सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी इसे आत्महत्या ही करार दे रहे हैं। इसलिए निष्पक्ष जांच कराई जाय। याची का कहना है कि सीमा सुरक्षा बल की 145वीं बटालियन के कमांडेंट ने 11 सितंबर को पत्र लिखकर बताया कि त्रिपुरा सेपाहीजाला के सोनापुरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। विवेचना चल रही है और 31 जनवरी 2020 को कमांडेंट फ्रंटियर कार्यालय त्रिपुरा याची को सूचना दी कि सभी तथ्यों से विवेचना अधिकारी व एसपी देवरिया को अवगत कराया गया है। याचिका में हत्या की आशंका की सीबीआइ जांच की मांग की गई है। हाई कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
भारत सरकार के अधिवक्ता से जवाब मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजीपुर निवासी आकाश यादव व दो अन्य को 19 सितंबर को होने वाले राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल प्रवेश टेस्ट 2021-22 में लखनऊ में शामिल होने की अनुमति दी है। याचीगण से कहा कि आदेश की प्रति टेस्ट लेने वाले विपक्षी अधिकारी को ईमेल, फैक्स या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजें मगर यह अंतरिम आदेश याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला ने याची अधिवक्ता प्रमेन्द्र प्रताप सिंह को सुनकर दिया है।
इनका कहना था कि परीक्षा शुल्क ऑनलाइन जमा हो चुका है। यह याचियों के लिए आखिरी मौका है। गाजीपुर से कम समय में लखनऊ सेंटर पर ही पहुंचा जा सकता है। इसलिए लखनऊ में टेस्ट में बैठने की अनुमति दी जाय। कोर्ट ने भारत सरकार के अधिवक्ता से जवाब मांगा है।