Allahabad High Court ने वीडीओ भर्ती में पूर्व सैनिकों की नियुक्ति पर जानकारी मांगी

याचिका पर अधिवक्ता एमए सिद्दीकी ने बहस की। इनका कहना है कि पूर्व सैनिकों के 186 पदों पर नियुक्ति रोक ली गई। 116 पद शैक्षिक योग्यता सत्यापन आदि कारणों से भरने से रोके गए। लगभग 500 अभ्यर्थियों ने ज्वाइन ही नहीं किया। कुल 3133 पद विज्ञापित किये गए थे।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 05:40 PM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 05:40 PM (IST)
Allahabad High Court ने वीडीओ भर्ती में पूर्व सैनिकों की नियुक्ति पर जानकारी मांगी
हाई कोर्ट ने पूछा सत्यापन हुआ या अधिकारी के कहने पर हुई नियुक्ति

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम विकास अधिकारी भर्ती 2016 में खाली पदों को भरने की मांग में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है।

हाई कोर्ट ने साफ तौर पर बताने के कहा है कि क्या पूर्व सैनिकों का चयन किया गया है। यदि हां तो क्या दस्तावेज सत्यापन के बाद चयन हुआ है या विपक्षी संख्या दो के कहने पर दस्तावेज सत्यापन किए बगैर नियुक्ति की गई है। याचिका की सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।

मेरिट से नीचे के अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार हो

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने कौशांबी के अंकुर सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता एमए सिद्दीकी ने बहस की। इनका कहना है कि पूर्व सैनिकों के 186 पदों पर नियुक्ति रोक ली गई थी। 116 पद शैक्षिक योग्यता सत्यापन आदि कारणों से भरने से रोके गए। इसके अलावा लगभग 500 अभ्यर्थियों ने ज्वाइन ही नहीं किया। कुल 3133 पद विज्ञापित किये गए थे। काफी पद खाली पड़े हैं। याची ने मांग की है कि मेरिट से नीचे के अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार किया जाना चाहिए।

सात साल बीते नामांतरण नहीं, कोर्ट ने सरकारी वकील से मांगी जानकारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तहसीलदार सदर प्रयागराज के निर्देश के बावजूद नामांतरण नहीं करने के मामले में राज्य सरकार के अधिवक्ता से इस बाबत जानकारी मांगी है। तहसीलदार ने सात साल पहले ही 15 नवंबर 2014 को नामांतरण का निर्देश जारी किया था जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। याचिका की सुनवाई 02 नवंबर को होगी।यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने सबीह उर्रहमान खान की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आर एन यादव व अभिषेक यादव ने बहस की। याची ने 158 मिन्हाजपुर प्लाट खरीदा। नामांतरण अर्जी का इश्तेहार किया गया। कोई आपत्ति नहीं आती। इसके बावजूद नामांतरण नहीं किया गया तो तहसीलदार ने आदेश दिया। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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