शादी के लिए धर्म परिवर्तन कर आलिया बनी प्रियंका खरवार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- यह उसका अधिकार; रद की FIR

Allahabad High Court इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि संविधान सभी को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है। व्यक्तिगत संबंध में हस्तक्षेप तो दो बालिग व्यक्तियों के पसंद की स्वतंत्रता के मूल अधिकार का अतिक्रमण होगा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 10:15 AM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 11:23 AM (IST)
शादी के लिए धर्म परिवर्तन कर आलिया बनी प्रियंका खरवार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- यह उसका अधिकार; रद की FIR
आदेश न्यायमूर्ति पंकज नकवी व न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रियंका व सलामत की याचिका पर दिया

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने व्यक्ति का मौलिक अधिकार को लेकर सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला किया है। कोर्ट ने पिता की ओर से पुत्री प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के धर्म परिवर्तन कर सलामत अंसारी से शादी करने के विरोध में अपहरण व पाक्सो एक्ट में दर्ज कराई गई प्राथमिकी को रद कर दिया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि संविधान सभी को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है। व्यक्तिगत संबंध में हस्तक्षेप तो दो बालिग व्यक्तियों के पसंद की स्वतंत्रता के मूल अधिकार का अतिक्रमण होगा। कोर्ट ने पिता की ओर से पुत्री प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के धर्म परिवर्तन कर सलामत अंसारी से शादी करने के विरोध में अपहरण व पाक्सो एक्ट में दर्ज कराई गई प्राथमिकी को रद कर दिया है। यह प्राथमिकी कुशीनगर के विष्णुपुरा थाने में दर्ज करायी गई है।

उत्तर प्रदेश में लव जिहाद को लेकर सरकार के कानून बनाने की तैयारी के बीच में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार के मामले कहा कि कानून एक बालिग स्त्री या पुरुष को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार देता है। कोर्ट ने कहा है कि उनके शांतिपूर्ण जीवन में कोई व्यक्ति या परिवार दखल नहीं दे सकता है। कोर्ट ने कहा है कि कानून दो बालिग व्यक्तियों को एक साथ रहने की इजाजत देता है, चाहे वे समान या विपरीत लिंग के ही क्यों न हों। कोर्ट ने कहा कि यहां तक कि राज्य भी दो बालिग लोगों के संबंध को लेकर आपत्ति नहीं कर सकता है। कोर्ट ने यह फैसला कुशीनगर थाना के सलामत अंसारी और तीन अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया।

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज नकवी व न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रियंका व सलामत की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पार्टनर चुनने का अधिकार अलग-अलग धर्मों के बावजूद जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार का हिस्सा है। किसी बालिग जोड़े को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति की पसंद का तिरस्कार, पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि हम हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि दो युवा देख रहे हैं, जिन्हेंं संविधान का अनुच्छेद-21 अपनी पसंद व इच्छा से किसी व्यक्ति के साथ शांति से रहने की आजादी देता है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।
रिश्ते पर आपत्ति करने का अधिकार नहीं

कोर्ट ने कहा कि हम यह समझने में नाकाम है कि जब कानून दो व्यक्तियों को चाहे वह समान लिंग के ही क्यों न हो शांतिपूर्वक साथ रहने की अनुमति देता है तो किसी को भी चाहे वह कोई व्यक्ति, परिवार अथवा राज्य ही क्यों न हो, उनके रिश्ते पर आपत्ति करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा प्रियांशी उर्फ समरीन और नूरजहां बेगम उर्फ अंजली मिश्रा के केस में दिए गए फैसले से असहमति जताते हुए कहा कि इन दोनों मामलों में दो वयस्क लोगों की ओर से अपनी मर्जी से अपना साथी चुनने और उसके साथ रहने की स्वतंत्रता के अधिकार पर विचार नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि यह फैसले कानूनन सही नहीं है।

याची का कहना था कि वह दोनों बालिग हैं और 19 अक्टूबर, 2019 को उन्होंने मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह किया है। इसके बाद प्रियंका ने इस्लाम को स्वीकार कर लिया है और एक साल से वह दोनों पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं। प्रियंका के पिता ने इस रिश्ते का विरोध करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है जिसके खिलाफ उन्होंने याचिका दाखिल की थी। याचिका का विरोध करते हुए प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना प्रतिबंधित है और ऐसे विवाह की कानून में मान्यता नहीं है।  

परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी

सलामत और प्रियंका खरवार ने परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी की है। दोनों ने मुस्लिम रीति रिवाज के साथ 19 अगस्त 2019 को शादी की। प्रियंका खरवार शादी के बाद आलिया बन गई। इस मामले में प्रियंका खरवार के पिता ने एफआईआर दर्ज कराई है। एफआईआर में उन्होंने कहा कि उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले जाया गया है। इस एफआईआर के बाद में आरोपी के खिलाफ पोक्सो एक्ट लगाया गया है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रियंका खरवार उर्फ आलिया को पति के साथ रहने की छूट दी है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पोक्सो एक्ट नहीं लागू होता है। कोर्ट ने कहा कि प्रियंका खरवार और सलामत को अदालत हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखती है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह तो प्रियंका खरवार की मर्जी है कि वो किससे मिलना चाहती है। कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि बेटी परिवार के लिए उचित शिष्टाचार और सम्मान का व्यवहार करेगी।

पिता बोले-शादी के लिए धर्म परिवर्तन प्रतिबंधित

प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के पिता ने कहा कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन प्रतिबंधित है। ऐसी शादी कानून की नजर में वैध नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति की पसंद का तिरस्कार, पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा प्रियंका खरवार और सलामत को अदालत हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखती है। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-21 ने अपनी पसंद व इच्छा से किसी व्यक्ति के साथ शांति से रहने की आजादी देता है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।

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