इलाहाबाद ​​​​​हाई कोर्ट ने कहा, सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान के आरक्षण का शासनादेश संवैधानिक

कोर्ट ने कहा है कि शासनादेश में साफ है कि विकासखंड को इकाई मानकर तहसील स्तरीय समिति आरक्षण की गणना करेगी। दुकान रिक्त होने पर ही आरक्षण लागू होगा। इस वजह से दुकानदार का लाइसेंस रद नहीं किया जाएगा।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 06:40 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 06:40 AM (IST)
इलाहाबाद ​​​​​हाई कोर्ट ने कहा, सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान के आरक्षण का शासनादेश संवैधानिक
दुकान रिक्त होने पर आरक्षण लागू करने की है व्यवस्था, नहीं रद किया जाएगा लाइसेंस

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन में विकासखंड (ब्लाक) स्तर पर आरक्षण लागू करने संबंधी शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि शासनादेश में साफ है कि विकासखंड को इकाई मानकर तहसील स्तरीय समिति आरक्षण की गणना करेगी। दुकान रिक्त होने पर ही आरक्षण लागू होगा। दुकानदार का लाइसेंस रद नहीं किया जाएगा।

हाई कोर्ट ने खारिज की चुनौती देने वाली याचिका

यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति आर एन तिलहरी की खंडपीठ ने कुशीनगर गुलरिया गांव निवासी अखिलेश तिवारी की याचिका पर दिया है। याचिका में पांच अगस्त 11 के शासनादेश के उपखंड (1) तथा (2) को अनुच्छेद 14 और 15 के विपरीत करार देते हुए इसकी संवैधानिकता की चुनौती दी गई थी। याची का कहना था कि गुलरिया गांव में सस्ते गल्ले की दुकान आरक्षित थी। बीती 26 जुलाई, 2019 को लाइसेंस निरस्त होने से दुकान खाली हुई। इसलिए यह सामान्य वर्ग को मिलनी चाहिए, किंतु शासनादेश के तहत यह दुकान अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित घोषित है। 29 जुलाई, 2019 को जारी उपजिलाधिकारी के पत्र के अनुसार 92 दुकानों में 25 एससी, एसटी व 50 ओबीसी की हैं। कुल 75 दुकान आरक्षित श्रेणी की है जो कोटे से काफी अधिक है। इसलिए गुलरिया में दुकान सामान्य वर्ग को दी जानी चाहिए। 13 नवंबर 2019 को एससी वर्ग को दुकान का आवंटन रद किया जाए। कोर्ट ने कहा कि जिस वर्ग के लिए दुकान आरक्षित होगी खाली होने पर उसे आवंटित की जाएगी।

chat bot
आपका साथी