इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, न्यायिक कसौटी पर खरे न उतरने वाले आदेश देने से बचें न्यायिक अधिकारी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों से कहा कि कोरोना काल में वह ऐसे आदेश न दें जो न्याय तंत्र में बाधक हो। अदालत ने विधायक की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट को फर्जी मान सीएमओ पर एफआइआर दर्ज कराने वाले जज को भविष्य में सावधान रहने की नसीहत भी दी है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 12:38 AM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 12:45 AM (IST)
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, न्यायिक कसौटी पर खरे न उतरने वाले आदेश देने से बचें न्यायिक अधिकारी
भविष्य में सावधानी बरतने की जज को नसीहत, राज्य सरकार से जवाब तलब

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश के न्यायिक अधिकारियों से कहा है कि कोरोना काल में वह ऐसे आदेश न दें जो न्याय तंत्र में बाधक हो। अदालत ने विधायक की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट को फर्जी मान सीएमओ पर एफआइआर दर्ज कराने वाले जज को भविष्य में सावधान रहने और न्यायिक कसौटी पर खरे न उतरने वाले आदेश न देने की नसीहत भी दी है। न्यायमूॢर्ति डा. केजे ठाकर तथा न्यायमूर्ति अजीत सिंह की खंडपीठ ने संतकबीर नगर के सीएमओ डा. हरगोविंद सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह नसीहत दी।  

कोर्ट ने संत कबीर नगर एक न्यायिक अधिकारी की संवेदनहीनता को दुखद करार दिया।

सीएमओ की गिरफ्तारी सहित अन्य आरोपियों के उत्पीड़न पर रोक

अदालत ने कहा ऐसा आदेश न्यायिक कसौटी पर खरा नही उतर सकता। हाईकोर्ट की पेंडेमिक गाइडलाइंस जारी की गई है, जिसमें अभियुक्त की पेशी न कराने के निर्देश जारी किए गए हैैं। कोर्ट ने आरोपी सीएमओ की गिरफ्तारी नहीं करने का निर्देश दिया है। कहा कि याची का  किसी प्रकार उत्पीडऩ न किया जाए। अन्य सह अभियुक्तों को भी इसी तरह राहत दी गई है ताकि उन्हें हाई कोर्ट न आना पड़े। साथ ही राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

खंडपीठ ने महानिबंधक से हाई कोर्ट की पेंडेमिक गाइडलाइंस को फिर से प्रदेश की सभी जिला अदालतों के न्यायिक अधिकारियों को याद दिलाने के लिए भेजने के लिए भी कहा है। कोर्ट में तलब विधायक ने कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट दिखा पेशी में नहीं आने की वजह बताई थी। इसे कोर्ट ने फर्जी माना था और नाराज होकर रिपोर्ट देने वाले सीएमओ और अन्य अधिकारियों के खिलाफ खलीलाबाद कोतवाली में एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया था। 16 दिसंबर, 2020 को एफआइआर दर्ज होने के बाद सीएमओ ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट की शरण ली। अदालत ने कहा कि सीएमओ इलाज नहीं करता। कोरोना रिपोर्ट राज्य की वेबसाइट पर होती है और बिना वजह उसे फर्जी मान लेना सही नहीं है। मामले में अगली सुनवाई पहली जुलाई को होगी।

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