इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- पद पर नियुक्ति की योग्यता है तो एक साल में दो डिग्री लेने के आरोप में बर्खास्तगी अवैध

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि यह नियुक्त अध्यापक निर्धारित योग्यता रखता है तो उसे बर्खास्त करना गलत है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने एक ही सत्र में हाईस्कूल व उसके समकक्ष दो डिग्री हासिल करने के आरोप में शिक्षक को बर्खास्त कर दिया था।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 04:04 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 04:04 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- पद पर नियुक्ति की योग्यता है तो एक साल में दो डिग्री लेने के आरोप में बर्खास्तगी अवैध
खंडपीठ ने एकल पीठ के प्रधानाध्यापक की बर्खास्तगी को रद करने के आदेश को सही माना है

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि यह जानते हुए नियुक्त अध्यापक पद की निर्धारित योग्यता रखता है फिर भी बर्खास्त करना गलत है। कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता से निर्णय लेना चाहिए। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने एक ही सत्र में हाईस्कूल व उसके समकक्ष दो डिग्री हासिल करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया था। खंडपीठ ने एकल पीठ के प्रधानाध्यापक की बर्खास्तगी को रद करने के आदेश को सही माना है और बेसिक शिक्षा परिषद की तरफ से दाखिल विशेष अपील खारिज कर दी है।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। बता दें कि विपक्षी याची चार जनवरी, 2006 को सहायक अध्यापक नियुक्त हुआ। इसके बाद उसे जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति दी गयी। सात दिसंबर, 2019 को उसे निलंबित कर विभागीय जांच बैठाई गई। 13 जनवरी, 2020 को आरोप पत्र दिया गया। जिसमें आरोप लगाया गया कि उसने 1984 में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से पूर्व मध्यमा की डिग्री हासिल की और इसी साल उसने यूपी बोर्ड से हाईस्कूल भी पास किया। एक साल में एक साथ दो डिग्री हासिल की।

जांच रिपोर्ट के बाद उसे 11 जून, 2020 को बर्खास्त कर दिया गया। बीएसए गोरखपुर के इस आदेश को चुनौती दी गयी। हाई कोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश रद कर दिया और सेवा बहाली का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अध्यापक को सुनवाई का मौका न देना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। वह पद की निर्धारित योग्यता रखता है और नियुक्ति की गयी हैं तो यह अवैध नहीं मानी जाएगी, जिसे अपील में चुनौती दी गयी थी।

कोर्ट ने कहा है कि बीएसए को पता है कि विपक्षी अध्यापक के पास दो डिग्री हैं और वह पद पर नियुक्ति की निर्धारित योग्यता रखता है तो उसे बर्खास्तगी जैसा दंड नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

chat bot
आपका साथी