इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- एनआइओएस से डीएलएड डिप्लोमा मान्य, टीईटी परीक्षा के आवेदन का मामला

याचीगण का कहना था कि वे एनआइओएस से डीएलएड डिप्लोमा धारक हैं। टीईटी परीक्षा में आवेदन दिया लेकिन बिना कारण उनके आवेदन स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। इसलिए सचिव को निर्देश दिया जाए। इस डिप्लोमा को एनसीटीई से मान्यता मिली हुई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 10:21 AM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 10:21 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- एनआइओएस से डीएलएड डिप्लोमा मान्य, टीईटी परीक्षा के आवेदन का मामला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने टीईटी परीक्षा आवेदन संबंधी डिप्‍लोमा की मान्‍यता पर निर्णय दिया है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उप्र प्रयागराज को एनआइओएस से सभी डीएलएड डिप्लोमा धारकों के टीईटी परीक्षा के लिए आवेदन स्वीकार करने का समादेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि एनसीटीई से डीएलएड डिप्लोमा मान्य होने के कारण आवेदन स्वीकार न करने का कोई औचित्य नहीं है।

याचिका का हुआ निस्‍तारण

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने संदीप मिश्रा व चार अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचीगण का कहना था कि वे एनआइओएस से डीएलएड डिप्लोमा धारक हैं। टीईटी परीक्षा में आवेदन दिया लेकिन बिना कारण उनके आवेदन स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। इसलिए सचिव को निर्देश दिया जाए। इस डिप्लोमा को एनसीटीई से मान्यता मिली हुई है। इसलिए डिप्लोमा धारक सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल होने के हकदार हैं। अन्य केस की सुनवाई में एनसीटीई के अधिवक्ता ने इसे मान्य बताया है। कोर्ट ने सभी डीएलएड डिप्लोमा धारकों के आवेदन स्वीकार करने का सामान्य समादेश जारी किया है।

कोर्ट ने कहा- जीवन अधिकार में भोजन अधिकार शामिल

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि राशन वितरण में धांधली की शिकायत की विस्तृत जांच जरूरी नहीं है। यह संक्षिप्त विचारण प्रक्रिया है। कारण बताओ नोटिस के जवाब पर विचार कर दोषी डीलर का लाइसेंस निरस्त करने के आदेश पर अनुच्छेद 226 में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। इस मामले में गवाहों की प्रति परीक्षा, विस्तृत जांच प्रक्रिया,जांच रिपोर्ट की प्रति देना, सुनवाई का मौका दिए जाने की विभागीय कार्यवाही की लंबी प्रक्रिया के तर्क स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि डीलर ने आंख बंद कर नहीं, खुली आंखों से करार किया है, जिसका पालन करना बाध्यकारी है। इन शर्तों के उल्लंघन पर लाइसेंस निलंबित या निरस्त किया जा सकता है।

कोर्ट ने तमाम याचिकाओं को किया खारिज

कोर्ट ने राशन की दुकान का लाइसेंस निरस्त करने के खिलाफ दाखिल तमाम याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति आरआर अग्रवाल ने नजाकत अली सहित दर्जनों याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जीवन के अधिकार में भोजन का अधिकार भी शामिल हैं। केंद्र सरकार ने गरीबों व गरीबी की रेखा से ऊपर के लोगों को राशन कार्ड के जरिए सस्ते दामों पर खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। लोक स्वास्थ्य, पौष्टिक आहार‌ व गरिमामय जीवन के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत अंत्योदय योजना, अन्न योजना लागू की है। राशन वितरण प्रणाली के अंतर्गत डीलर्स नियुक्त किए गए हैं, जो लाइसेंस की शर्तो के अनुसार राशन कार्ड धारकों को खाद्यान्न उपलब्ध कराते हैं।

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