इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपहरण और कत्ल के आरोपित की जमानत अर्जी की खारिज

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि याची की निशानदेही पर लाश बरामद की गई। ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिससे कहा जाय कि झूठा फंसाया गया है। कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने दिया है

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 09:00 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 09:40 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपहरण और कत्ल के आरोपित की जमानत अर्जी की खारिज
हाईकोर्ट ने हत्याकांड के षड्यंत्र के आरोपी हकीमुद्दीन को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर के खुर्जा नगर में हुए हत्याकांड के षड्यंत्र के आरोपी हकीमुद्दीन को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि याची की निशानदेही पर लाश बरामद की गई। ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिससे कहा जाय कि झूठा फंसाया गया है। कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने दिया है।

याची ने कहा कि उसे फंसाया गया है

अभियोजन के अनुसार गजेंद्र सिंह ने 25 जुलाई 2020 को थाना पुलिस को सूचना दी कि उसका भाई धर्मेंद्र चौधरी शाम से लापता है। दूसरे दिन 26 जुलाई को उसके अपहरण किए जाने की शिकायत की तो एफआइआर दर्ज कराई गई। लापता भाई की डायरी से पता चला कि 60 लाख रूपये विवेक कुमार उर्फ विक्की पर बकाया है। 31 जुलाई की रात पुलिस ने विक्की,अमित व याची को संदेह पर गिरफ्तार किया। इनके बयान पर विक्की के महालक्ष्मी टाइल्स स्टोर से लाश बरामद हुई। याची का कहना था कि वह विक्की का नौकर है। घटना से उसका कोई सरोकार नहीं है। वह पूरी तरह से निर्दोष है। उसे इस घटना में फंसाया गया है।

उच्च प्राथमिक स्कूलों के अध्यापकों की प्रोन्नति पर रोक हटाने की याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों की प्रोन्नति पर रोक को समाप्त करने के लिए दाखिल याचिका पर प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद से जानकारी मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने जोगेंद्र व अन्य की याचिका पर दिया है। याची गण का कहना है कि 17 मई 2019 को जूनियर हाई स्कूल के सहायक अध्यापकों की पदोन्नति पर रोक लगा दी गई है। यह रोक एक याचिका में दिए गए निर्देश के क्रम में लगाई गई है। वह याचिका हाईकोर्ट ने अब खारिज कर दी इसलिए सचिव द्वारा जारी 17 मई के आदेश पर भी पुनर्विचार व संशोधन किए जाने की आवश्यकता है। कोर्ट ने सरकारी वकील को इस मामले में 28 सितंबर तक जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।

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