UP: नाबालिग पति की अभिरक्षा बालिग पत्नी को सौंपने से हाई कोर्ट का इन्कार, पाक्सो एक्ट के तहत होगा अपराध
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाबालिग पति की अभिरक्षा बालिग पत्नी को सौंपने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसी शादी शून्यकरणीय है। यदि नाबालिग पति को उसकी बालिग पत्नी को सौंपा गया तो यह पाक्सो एक्ट के तहत अपराध होगा।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाबालिग पति की अभिरक्षा बालिग पत्नी को सौंपने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसी शादी शून्यकरणीय है। यदि नाबालिग पति को उसकी बालिग पत्नी को सौंपा गया तो यह पाक्सो एक्ट के तहत अपराध होगा। पति अपनी मां के साथ भी रहना नहीं चाहता है, इसलिए उसकी अभिरक्षा कोर्ट ने मां को भी नहीं सौंपी।
हाई कोर्ट ने आजमगढ़ जिला प्रशासन को चार फरवरी 2022 (लड़के के बालिग होने ) तक सारी सुविधाओं के साथ सरकारी आश्रय स्थल में रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट से साफ किया है का चार फरवरी 2022 को बालिग होने के बाद वह अपनी मर्जी से कहीं भी किसी के साथ जाने के लिए स्वतंत्र होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने लड़के की मां आजमगढ़ की हौसिला देवी की याचिका पर दिया है।
मां ने अपने नाबालिग बेटे की अभिरक्षा की मांग की थी। याची का कहना था कि नाबालिग लड़के को किसी लड़की से शादी करने का विधिक अधिकार नहीं है। ऐसी शादी कानूनन शून्य है। कोर्ट के निर्देश पर लड़के को 18 सितंबर 2020 को अदालत में पेश किया गया। उसके बयान से साफ हुआ कि वह जबरन पत्नी के साथ रह रहा है। पत्नी से बच्चा भी पैदा हुआ है। कोर्ट ने कहा कि वह नाबालिग है। ऐसे में पत्नी की अभिरक्षा में नहीं रह सकता। इस मामले में बच्चे का हित देखा जाएगा, इसलिए बालिग होने तक सरकारी आश्रय स्थल में रहेगा।